सीतामढ़ी. मंडल कारा (डिस्ट्रिक जेल) में बंदियों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जेल प्रशासन द्वारा कई तरह के हुनर के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसमे कंप्यूटर शिक्षा, चूड़ी लहठी उद्योग से संबंधित कई योजनाएं शामिल हैं. कहते हैं कि हुनर किसी परिचय का मोहताज नही होती है, यह साबित कर दिया है दो विदेशी महिला बंदियों ने. दोनों महिला बंदियों को पिछले वर्ष इंडो-नेपाल बॉर्डर के पास बिना पासपोर्ट व वीजा के प्रवेश करने के दौरान सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने गिरफ्तार किया था. इंडो-नेपाल बॉर्डर के सोनबरसा के पास बिना पासपोर्ट एवं वीजा के भारत में प्रवेश के दौरान तिब्बती महिला येंकी (44 वर्ष) को 17 मार्च 2023 को गिरफ्तार किया गया था. उक्त महिला बौद्ध धर्म की अनुयायी है. उसे हिंदी भाषा का ज्ञान नहीं है, अंग्रेजी व तिब्बती भाषा जानती है. जेल में महिला बंदी के बीच ज्यादातर शांत रहती है. अपना ज्यादातर समय वह चित्रकारी में व्यतीत करती है. एक कार्यक्रम के दौरान जमीन पर बैठी येंकी वहां मौजूद जेल अधीक्षक की तस्वीर सादे कागज पर पेंसिल से बना डाली. उनकी कलाकृति को देख वहां मौजूद सभी लोग दंग रह गए.– अधिकांश समय पढ़ने व पढ़ाने में व्यतीत करती है खादिजा
— कहते हैं अधिकारी
तिब्बती महिला के हुनर को तराशने के लिए जेल प्रशासन हर संभव मदद कर रहा है. उसकी चित्रकारी ही पहचान बन गयी है. पाकिस्तानी महिला बंदी शिक्षा का अलख जगा रही है. मनोज कुमार सिन्हा, जेल अधीक्षक, मंडल कारा सीतामढ़ी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है