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वासंतिक नवरात्र : तीसरे दिन मां चंद्रघंटा देवी की हुई पूजा और उपासना

गुरुवार को वासंतिक नवरात्र का तीसरा दिन था. तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा देवी की विधि-विधान से पूजन-अर्चन एवं ध्यान किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | April 11, 2024 9:35 PM

सीतामढ़ी. गुरुवार को वासंतिक नवरात्र का तीसरा दिन था. तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा देवी की विधि-विधान से पूजन-अर्चन एवं ध्यान किया गया. पंडित मुकेश कुमार मिश्र ने बताया कि मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. मां चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, सच्चे मन से विधि-विधान के साथ माता रानी के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने वाले जातकों पर माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. पुपरी. वासंतिक नवरात्र पूजा के तीसरे दिन गुरुवार को नगर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विभिन्न पूजा पंडालों, मंदिरों, मंडपों व घरों में माता भगवती दुर्गा के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की ध्यान अण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपार्भटीयुता, प्रसादं तनुतां महां चण्डखण्डेति विश्रुता मंत्र से व पूजा-अर्चना वैदिक मंत्रोच्चार व विधि विधान के साथ की गई. इस दौरान विभिन्न पूजा मंडपों व मंदिरों में पूजा समितियों के सदस्यों समेत सैकड़ों श्रद्धालुओं ने माता के दरबार में पहुंच माथा टेका और पुष्प अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना की. इस दौरान पूजा मंडपों में बज रहे भक्तिमय गीत व मंत्रोच्चार से पुरा इलाका भक्तिमय हो गया है. आज मां दुर्गा भवानी के चौथे रूप कूष्मांडा देवी की होगी पूजा और ध्यान.सीतामढ़ी. आज नवरात्रि का चौथा दिन है. आज मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा-अर्चना और ध्यान किया जाएगा. पंडित मुकेश कुमार मिश्र के अनुसार, देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है. मां कूष्मांडा सूर्य के समान तेज हैं. मां कूष्मांडा की विधिवत पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है. संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं, इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है.

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