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योगासन से समूचे शरीर का होता है शुद्धिकरण : आलोक

योग प्राचीन सनातन महासागर हैं, जिसको पार पाना कठिन तप के समान है. गृहस्थ जीवन में स्वयं को स्वस्थ रखने हेतु प्राचीन योग एक महत्वपूर्ण साधन है.

सीतामढ़ी. योग प्राचीन सनातन महासागर हैं, जिसको पार पाना कठिन तप के समान है. गृहस्थ जीवन में स्वयं को स्वस्थ रखने हेतु प्राचीन योग एक महत्वपूर्ण साधन है. उक्त बातें जिले के चर्चित योग गुरु आलोक कुमार सिंह ने कही. सोमवार को प्रभात खबर से बातचीत में उन्होंने योग के मयूरासन अभ्यास की चर्चा की तथा उसके लाभ का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि मयूरासन का अभ्यास करने से चयापचय की प्रक्रिया उद्दीप्त होती हैं. शरीर के समस्त आंतरिक अंगों में रस यानी संबंधित अंगों के हार्मोन के स्त्राव में वृद्धि होती हैं. शरीर के विषैले तत्व का निष्कासन होता हैं. पाचन अंगों की मालिश होने से जठराग्नि प्रदीप्त होती हैं. कब्ज, वायुदोष, मधुमेह, यकृत और गुर्दे की मन्दता के उपचार हेतु मयूरासन सर्वोत्तम हैं. अंत:स्त्रावी ग्रंथियों में सामंजस्य स्थापित होता हैं और त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) के बीच संतुलन और सामंजस्य स्थापित होता हैं. साथ ही समूचे शरीर का शुद्धिकरण होता हैं. उन्होंने बताया कि साधक का चेहरा ओजपूर्ण एवं कांतिमय बनाता है. परंतु सावधानियां भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाएं मयूरासन योग की क्रिया न करें, जिन्हें उच्च रक्तचाप, अल्सर, हॉर्निया या ह्रदय योग हो.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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