पांच हजार एमटी मछली का होगा उत्पादन

सीवान : जिलावासियों के लिए खुशखबरी है. उन्हें ताजा मछली के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. इस बार जिले में मत्स्य विभाग पांच हजार मीटरिक टन मछली पालन करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए वह मत्स्य पालकों को मछली पालन के लिए हर सुविधाओं से भी लैस कर रहा है. जिले में रोहू, कतला, नैनी, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2017 2:16 AM

सीवान : जिलावासियों के लिए खुशखबरी है. उन्हें ताजा मछली के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. इस बार जिले में मत्स्य विभाग पांच हजार मीटरिक टन मछली पालन करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए वह मत्स्य पालकों को मछली पालन के लिए हर सुविधाओं से भी लैस कर रहा है. जिले में रोहू, कतला, नैनी, बंगेसियस, ग्रास क्राॅप व सिल्वर क्राॅप नामक मशहूर मछली का पालन होगा. यही नहीं मत्स्यपालकों को अनुदान पर मत्स्य बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. यही नहीं मत्स्य बीज उपलब्ध कराने के लिए जिले में हेचरी भी चिह्नित कर ली गयी है. जिले में पूर्वांचल, उत्तरांचल व दक्षिणांचल में सबसे अधिक मत्स्य पालन होता है.

तालाब निर्माण पर विभाग दे रहा 50 प्रतिशत सब्सिडी : मत्स्य विभाग मछली पालकों को सुविधा देने के लिए नीली क्रांति योजना चला रहा है. इसके तहत नये तालाब के निर्माण, उसके पुनरुद्धार और विकास के लिए योजना चला रहा है. इसके अंतर्गत मछली पालकों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जानी है. इसके तहत नया तालाब योजना के अंतर्गत मछली पालकों को नये तालाब के निर्माण पर 50 प्रतिशत सब्सिडी विभाग द्वारा दी जा रही है. साथ ही अर्ध चंवर व अर्ध विकास योजना के तहत तालाब के विकास और पुनरुद्धार के लिए 50 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है.
मछली बीज पर भी मिल रहा अनुदान : मत्स्यपालकों को मछली बीज पर भी 50 फीसदी अनुदान मिल रहा है. अनुदान देख मत्स्य बीजों के लिए मत्स्यपालक भी रुचि दिखा रहे हैं. जिले में रोहू, कतला, नैनी, बंगेसियस, ग्रास क्राॅप व सिल्वर क्राॅप नामक मशहूर मछली का पालन होगा.
मछली पालकों को अनुदान पर वाहन : मछलीपालकों को विभाग अनुदान पर चारपहिया, तिपहिया और मोपेड उपलब्ध करा रहा है. इससे मछलीपालक आसानी से और जल्दी बाजार में मछली पहुंचा सकेंगे. वाहन की खरीदारी पर विभाग 70 प्रतिशत अनुदान दे रहा है. अभी एसी-एसटी मछलीपालकों को इस योजना का लाभ मिल रहा है.मत्स्यपालकों को अनुदान पर उपलब्ध कराया जायेगा मत्स्य बीज
मत्स्य बीज उपलब्ध कराने के लिए जिले की हेचरी चिह्नित
जिले में पूर्वांचल, उत्तरांचल व दक्षिणांचल में सबसे अधिक होता है मत्स्यपालन
3.46 एमटी मछली पालन के लक्ष्य के करीब विभाग
जिला मत्स्यपालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर आगे बढ़ रहा है. अगर सरकार की योजना सफल हुई और विभाग निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने में सफल रहा, तो जिलावासियों को तो ताजी मछलियां खाने को मिलेंगी ही, अन्य जिलों को भी मछली सप्लाइ होगी. मत्स्य विभाग के मुताबिक विभाग को पांच हजार एमटी मछली पालन का लक्ष्य इस वर्ष रखा गया है, जिसकी प्राप्ति के लिए विभाग प्रयासरत है और विभाग का दावा है कि उसे हासिल कर लिया जायेगा. हालांकि अभी 3.46 एमटी का लक्ष्य हासिल किया जा सका है.
क्या कहते हैं अधिकारी
मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए विभाग प्रयासरत है. इस साल निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए कार्य जारी है. विभाग की योजना के अनुसार जिला मछली पालन में तो आत्मनिर्भर बनेगा ही अन्य जिलों को भी मछली सप्लाइ कर सकेगा.
मनीष कुमार श्रीवास्तव, जिला मत्स्य पदाधिकारी, सीवान

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