13 सालों में केवि को जमीन नहीं दिला सके जनप्रतिनिधि

जमीन नहीं मिलने की स्थिति में केंद्रीय विद्यालय संगठन बंद कर सकता है यूनिट कॉलेज प्रशासन कई बार अपना भवन खाली कराने के लिए कह चुका है विद्यालय से सीवान : जिले के सभी जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई रुचि नहीं लिये जाने से 13 वर्षों में केंद्रीय विद्यालय को अपने भवन के लिए जमीन नहीं मिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2017 12:01 PM
जमीन नहीं मिलने की स्थिति में केंद्रीय विद्यालय संगठन बंद कर सकता है यूनिट
कॉलेज प्रशासन कई बार अपना भवन खाली कराने के लिए कह चुका है विद्यालय से
सीवान : जिले के सभी जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई रुचि नहीं लिये जाने से 13 वर्षों में केंद्रीय विद्यालय को अपने भवन के लिए जमीन नहीं मिल सकी है. जमीन नहीं मिलने की स्थिति में बार-बार केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा जिला प्रशासन को इससे अवगत कराया जाता है. भवन के लिए जमीन नहीं मिलने के कारण ही कुछ साल पहले केंद्रीय विद्यालय संगठन ने यूनिट को बंद करने का निर्णय लेते हुए नये नामांकन पर रोक लगा दी गयी थी. काफी प्रयास के बाद संगठन ने अपने निर्णय को वापस लिया था. गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की शिक्षण संस्था केंद्रीय विद्यालय को बचाने के लिए जिले के किसी भी दलों के जन प्रतिनिधियों ने प्रयास नहीं किये. अगर, जन प्रतिनिधियों द्वारा जनता का थोड़ा-सा भी ख्याल रख जमीन दिलवाने की पहल की गयी होती, तो आज केंद्रीय विद्यालय की अपनी जमीन में भवन होता. सांसद ओमप्रकाश यादव जिस तत्परता से केंद्रीय विद्यालय में नामांकन कराने के अपने कोटा प्रयोग करते हैं., वैसे उन्हें भी इसे बचाने का प्रयास करना चाहिए.
विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक में इस मुद्दे को मात्र औपचारिकता पूरा करने के लिए उठाया जाता है. अभी दो-तीन दिनों पूर्व विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक हुई. इस बैठक में पुन: जवाहर विद्यालय की अनुपयोगी जमीन को केंद्रीय विद्यालय के लिए उपलब्ध कराने का एक प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजने का निर्णय लिया है. यह प्रस्ताव पूर्व में भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अस्वीकृत किया जा चुका है. इस तरह से प्रबंध समिति का प्रस्ताव टाइम पास करने के सिवा कुछ नहीं है.
भवन के लिए चाहिए शहरी क्षेत्र में चार व ग्रामीण क्षेत्र में पांच एकड़ जमीन
केंद्रीय विद्यालय को अपने भवन के लिए शहरी क्षेत्र में अगर जमीन मिलती है तो चार, नहीं तो ग्रामीण क्षेत्रों में पांच एकड़ जमीन की जरूरत है. जमीन को उपलब्ध कराना जिला प्रशासन की जवाबदेही है.
साथ में जिले के जनप्रतिनिधियों को भी अपने स्तर से पहल करने की जरूरत है. जनप्रतिनिधियों को केंद्रीय विद्यालय की जमीन उपलब्ध कराने की योजना को अपने मुद्दे में वरीयता में सबसे ऊपर रखना होगा. अभी स्थिति यह है कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के पास जिला प्रशासन द्वारा जमीन उपलब्ध कराने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है. अंतिम प्रस्ताव सदर प्रखंड के फुलवरिया गांव की चार एकड़ की जमीन का था. जमीन कम होने तथा जमीन समतल नहीं होने के कारण केंद्रीय विद्यालय संगठन इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर चुका है.
नहीं शुरू हो पा रही है कक्षा ग्यारहवीं में कला व विज्ञान की पढ़ाई
दारोगा प्रसाद राय महाविद्यालय के भवन में अस्थायी रूप से चल रहे केंद्रीय विद्यालय के पास कमरों की कमी होने के कारण कला व विज्ञान विषय में ग्यारहवीं की कक्षाएं नहीं शुरू हो पा रही है. सिर्फ विज्ञान के लिए कम-से-कम पांच और कमरों की जरूरत है. विद्यालय के पास कमरों की कमी होने के कारण कक्षा एक से लेकर 10वीं तक की कक्षाओं के दूसरे सेक्शन चालू नहीं हो पा रहे हैं. अगर, दूसरे सेक्शन शुरू हो जाते, तो केंद्रीय विद्यालय में नामांकन कराने वालों छात्रों की संख्या डबल हो जाती. वैसे कमरों के अभाव के कारण विद्यालय प्रशासन को कई कक्षाएं संयुक्त रूप से चलानी पड़ती हैं.

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