सात समंदर पार से छठ मनाने आये एनआरआई वीरेंद्र
महाराजगंज : मां का प्रेम ऐसा प्रेम है दूर रहने पर भी भूलना मुश्किल होता है. वैसा एक सपूत जो सात समंदर पार रहने के बावजूद अपने जन्म स्थली के मिट्टी को छठ के पावन अवसर पर प्रणाम करने पहुंचे हैं. महाराजगंज थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर निवासी महंथ सिंह के पुत्र वीरेंद्र कुमार सिंह लंदन […]
महाराजगंज : मां का प्रेम ऐसा प्रेम है दूर रहने पर भी भूलना मुश्किल होता है. वैसा एक सपूत जो सात समंदर पार रहने के बावजूद अपने जन्म स्थली के मिट्टी को छठ के पावन अवसर पर प्रणाम करने पहुंचे हैं. महाराजगंज थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर निवासी महंथ सिंह के पुत्र वीरेंद्र कुमार सिंह लंदन से अपने जन्म स्थली पर दीपावली का त्योहार मनाने व छठ व्रत के लिए आये हैं.
अप्रवासी श्री सिंह बातचीत के दौरान बताए कि मेरी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से चाचा लालदेव सिंह, रामदेव सिंह के सानिध्य में हुई. हाई स्कूल सिंहौता बंगरा व इंटर की पढ़ाई कलकत्ता की. परिवार के सहयोग व सिहौता बंगरा गांव के स्वतंत्रता सेनानी मुंशी बाबू के मार्ग दर्शन से उच्च शिक्षा के लिए लंदन गया. वहीं डाक्टरियेट की उपाधि प्राप्त की. एक कॉलेज में लेक्चरल बना. नौकरी करने के अवधि में ही मैं करोल नाम के लड़की से वैवाहिक सूत्र में बंध गया. पत्नी भी पेशे से लेक्चरल हैं.
बताया कि रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन की उपाधि पाने वाले प्रथम भारतीय हैं. यह उपाधि सन 2000 में प्राप्त हुई. प्रवासी श्री सिंह को दो पुत्रियां जानी 34 वर्ष, व आशा 30 वर्ष हैं. पुत्री करोल भी लेक्चरल है व आशा अध्यनरत है. आज श्री सिंह को लंदन में रहते 40 वर्ष हो गए. लेकिन जन्म भूमि को नहीं भूलते हैं. मौका पड़ने पर घर परिवार से मिलने आते हैं.
वर्तमान में डॉ श्री सिंह अन्य देशों में जाकर अपने अनुभव को शेयर करते हैं. जन्म स्थली पर पहुंचने के बाद अपनी भोजपुरी भाषा का अधिक प्रयोग करते हैं. कहते हैं, जो रस भोजपुरी में है शायद और किसी भाषा में पाना मुश्किल है.
आज भी जन्म स्थली पर काका, चाचा, भाई, बहन आदि रिस्तेदारों से भोजपुरी में हीं बात कर आनंद लेते हैं. दीपावली व छठ पर्व मनाने के लिए वे गांव आए हुए थे.