घर से लाये प्लेट, खिचड़ी-चोखा को भी तरसे
चिंताजनक. मानक के अनुरूप नहीं मिलता है एमडीएम, खिचड़ी की याचना कर रहे थे बच्चे बड़हरिया/गुठनी : सरकार व शिक्षा विभाग की सोच है कि छात्रों को पठन-पाठन के अलावा दोपहर को पौष्टिक आहार भी दिया जाये. इसलिए सप्ताह के छह दिनों के लिए विभाग द्वारा अलग-अलग मीनू निर्धारित है. लेकिन कुछ विद्यालयों में कमाऊ […]
चिंताजनक. मानक के अनुरूप नहीं मिलता है एमडीएम, खिचड़ी की याचना कर रहे थे बच्चे
बड़हरिया/गुठनी : सरकार व शिक्षा विभाग की सोच है कि छात्रों को पठन-पाठन के अलावा दोपहर को पौष्टिक आहार भी दिया जाये. इसलिए सप्ताह के छह दिनों के लिए विभाग द्वारा अलग-अलग मीनू निर्धारित है. लेकिन कुछ विद्यालयों में कमाऊ व समझौतावादी नीति के तहत बच्चों को भोजन कराने में मानक का ख्याल नहीं रखा जा रहा है.
प्रखंड के उमवि शेखपुरा में जब हमारे संवाददाता पहुंचे तो देखा कि बच्चे अपने घरों से प्लेट, कटोरा, थाली आदि लेकर खिचड़ी व चोखा की याचना करते नजर आये. बुधवार को चलते पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के मीनू के अनुसार हरी सब्जी, खिचड़ी व चोखा निर्धारित था, लेकिन सब्जी नहीं बनी थी.
प्रधानाध्यापक मो मुस्तफा के अनुसार करीब 13 किलोग्राम चावल में महज ढाई किलोग्राम दाल डाला गया था. खिचड़ी से हल्दी गायब थी. बदरंग खिचड़ी यह बताने के लिए पर्याप्त थी कि खिचड़ी बनाने की केवल औपचारिकता निभायी गयी है. रसोइया के अनुसार आठ किलोग्राम आलू का चोखा बना था. हालांकि चोखा तीन-चार किलोग्राम आलू का ही बना था. नतीजा यह निकला कि कुछ छात्रों को चोखा मिल नहीं पाया. आठवीं कक्षा के छात्र पवन शर्मा ने अपनी थाली दिखाते हुए बताया कि उसे चोखा नहीं मिल पाया है.
हालांकि बच्चे शिक्षकों के डर से अपनी बात नहीं रख पा रहे थे. फिर आठवीं कक्षा के छात्र अफरान खान ने बताया कि आज तक अंडा नहीं मिल पाया है. हालांकि अंडा की बारी शुक्रवार को आनेवाली है.
प्रधानाध्यापक मो. मुस्तफा ने बताया कि आज छात्र-छात्राओं की कुल उपस्थिति 260 है. वहीं, विद्यालय में बच्चों की संख्या 100 से भी कम नजर आ रही थी. प्रधानाध्यापक के अनुसार स्कूल में 145 प्लेट खरीदे गये थे. लेकिन बच्चों की मानें तो 90 फीसदी छात्र अपने घर से बर्तन लेकर आते हैं. प्लेट को लेकर प्रधानाध्यापक मो. मुस्तफा ने बताया कि बच्चों को घर लेकर जाने के लिए प्लेट दे दिया गया है.