डायट की राशि हुई दोगुनी, गुणवत्ता में नहीं आया कोई बदलाव

सीवान : सरकार ने सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के डायट की राशि पचास से सौ रुपये तो कर दी लेकिन मरीजों को आज भी गुणवत्तापूर्ण खाना नहीं मिल रहा है. मरीज चाहे लिवर की शिकायत वाला हो या टीबी का. सबको एक जैसा ही खाना उपलब्ध कराया जाता है. वैसे यहां के डॉक्टर भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2017 4:18 AM

सीवान : सरकार ने सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के डायट की राशि पचास से सौ रुपये तो कर दी लेकिन मरीजों को आज भी गुणवत्तापूर्ण खाना नहीं मिल रहा है. मरीज चाहे लिवर की शिकायत वाला हो या टीबी का. सबको एक जैसा ही खाना उपलब्ध कराया जाता है. वैसे यहां के डॉक्टर भी सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को मर्ज के अनुसार डायट की सलाह नहीं देते. इसका लाभ डायट देने वाला ठेकेदार उठाता है वह मरीजों को अपनी मर्जी से खाना देता है.

सुबह में चार ब्रेड, दो अंडा, फल एक व एक कप दूध, दोपहर में चावल, दाल व सब्जी तथा रात में चार रोटी, दाल व सब्जी मरीजों को खाने के लिए मिलता है. ठेकेदार के कर्मचारी ने मरीजों को खाना देने का कोई निर्धारित समय नहीं रखा है. इससे मरीजों को परेशानी होती है. अभी जो मरीजों को डायट मिल रहा है. उससे अच्छा तो पचास रुपये में पहले वाला ठेकेदार खाना खिलाता था. पहले व अभी में मात्र एक अंडे का अंतर है. वहीं, डायट की राशि पहले से दो गुना अधिक हो गयी है.

सदर अस्पताल में भर्ती करीब 25 प्रतिशत ऐसे भी मरीज है, जिनका डायट तो रोज बनता है. लेकिन खाने में गुणवत्ता नहीं होने के कारण वे अपने घरों से खाना मंगा कर खाते हैं.

सामान्य प्रसव वाली मरीजों को नहीं मिलता भोजन : सदर अस्पताल में प्रतिदिन औसतन करीब 25 से 30 महिलाओं का सामान्य प्रसव होता है. प्रसव कराने आनेवाली महिलाएं जब तक अस्पताल में रहती हैं, उन्हें डायट नहीं मिलता. ठेकेदार के कर्मचारियों का कहना है कि भर्ती मरीज को ही खाना देना है. प्रसव कराने आनेवाली प्रसूताओं को जब तक बच्चा नहीं होता स्वास्थ्यकर्मी उन्हें भर्ती नहीं करते हैं. भले ही प्रसुताएं एक सप्ताह सदर अस्पताल के महिला वार्ड के बेड पर सोकर इलाज करवाएं. ऐसी बात नहीं है कि उन महिलाओं का उपचार नहीं होता है. बच्चा होने तक बिना भर्ती किये ही प्रसूताओं का उपचार किया जाता है. सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि ठेकेदार के कर्मचारी महिला वार्ड में भर्ती मरीजों का स्वयं डायट बनाकर रजिस्टर पर अंकित कर लेते हैं. उस रजिस्टर पर किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा मरीजों की संख्या की पुष्टि नहीं की जाती है. वहीं रामानंद प्रसाद ने कहा कि सदर अस्पताल में जो मरीजों को खाना मिलता है उसमें गुणवत्ता नहीं होती है. चावल, दाल व सब्जी खाने लायक नहीं होता है. मजबूरी में खाना खाना पड़ता है. सुबह में ब्रेड के साथ एक अंडा व पानी जैसा दूध मिलता है.
25 फीसदी मरीज खाने की क्वालिटी को देख घर से मंगवाते हैं भोजन
अस्पताल में भर्ती मरीज घटिया खाने को हैं मजबूर
बोले अिधकारी
डायट की राशि में वृद्धि हुई है और ठेकेदार को मेनू के अनुसार भोजन देने का आदेश दिया गया है. अगर ऐसी शिकायत है कि मेनू के अनुसार भोजन नहीं मिल रहा है, तो जांच करायी जायेगी. इसके बाद विभागीय कार्रवाई होगी.
डॉक्टर एमके आलम, उपाधीक्षक सदर अस्पताल, सीवान.
200 ग्रामब्रेड
300 ग्रामदूध
50 ग्रामचीनी
05 पीस केला
02 पीसअंडा
200 ग्रामचावल
40 ग्रामदाल
100 ग्रामआलू सब्जी
75 ग्रामहरी सब्जी
01फल
200 ग्रामरोटी
40 ग्रामदाल
100 ग्राम आलू सब्जी
75 ग्रामहरी सब्जी
01फल

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