स्कूलों के एमडीएम में दिखने लगा सुधार
पटरी पर व्यवस्था. बीते शुक्रवार को तीन स्कूलों में बच्चों को खाने को मिला अंडा महाराजगंज : मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रभात खबर द्वारा चलाये जा रहे अभियान का असर धीरे-धीरे दिखने लगा है. मेनू के अनुसार एमडीएम भी बच्चों को दिया जा रहा है. अभियान के तहत प्रभात खबर की […]
पटरी पर व्यवस्था. बीते शुक्रवार को तीन स्कूलों में बच्चों को खाने को मिला अंडा
महाराजगंज : मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रभात खबर द्वारा चलाये जा रहे अभियान का असर धीरे-धीरे दिखने लगा है. मेनू के अनुसार एमडीएम भी बच्चों को दिया जा रहा है. अभियान के तहत प्रभात खबर की टीम ने इसकी पड़ताल की. शुक्रवार को प्रखंड क्षेत्र के एक प्राथमिक व दो उमवि विद्यालय के एमडीएम की पड़ताल प्रभात खबर के प्रतिनिधि ने की.
प्रखंड की कसदेवरा पंचायत के न्यू प्राथमिक विद्यालय के एमडीएम की पड़ताल 11:10 बजे पूर्वाह्न की गयी. स्कूल के शिक्षक वर्ग कक्ष के अनुसार स्कूल के मैदान में धूप में बैठ कर बच्चों को पढ़ा रहे थे. रसोइया अपने किचेन में खाना बना रही थी. मेनू के अनुसार लगभग मानक का पालन देखा गया. अंडा भी बच्चों को परोसने के लिए किचेन में देखा गया. किचेन के अभाव में खाना वर्ग कक्ष में ही बनाया जा रहा था. रसोइ गैस कनेक्शन नहीं था. कोयले पर खाना बनाया जा रहा था. बच्चों के खाने के लिए स्कूल में प्लेट भी उपलब्ध थी.
वहीं 12:10 बजे उमवि रानपुर की पड़ताल की गयी. प्रधानाध्यापक सुनील मांझी अपने कार्यालय कक्ष में थे. शिक्षक अपने-अपने वर्ग कक्ष में थे. विद्यालय में एक से पांच तक छात्रों की नामांकित संख्या 153 थी, उपस्थिति 129 थी. विद्यालय के पास किचेन नहीं है. वर्ग कक्ष में खाना बन रहा था. रसोइया खाना बना रही थी. बच्चों की संख्या के हिसाब से चावल, छोला बना था, अंडाें की संख्या 210 थी. अन्य बच्चों को फल देने की बात बतायी गयी. गैस पर खाना बन रहा था. वहीं 1:00 बजे अपराह्न में उमवि तेघड़ा की पड़ताल में भी एमडीएम के मानक का ख्याल रखा गया था. कोयले पर खाना बनाया गया था, रसोई रूम जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था. चावल, छोला अंडा बच्चों को परोसा जा रहा था. नामांकित बच्चों की संख्या एक से पांच तक 182 थी. वहीं उपस्थिति 111 थी. एक से आठ तक नामांकित छात्रों की संख्या 206 थी, उपस्थिति 180 थी. चावल 32 किलो, छोला 12 किलो अंडा 210 बनने की बात रसोईया द्वारा बतायी गयी. शेष 70 बच्चों को फल देने की बात कही गयी. विद्यालय में कोयले पर खाना बना था.