जिले में सिर्फ 29 पैथोलॉजी व नर्सिंग होम का निबंधन
सीवान : जिले में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां डॉक्टरों की क्लिनिक, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी जांच घर नहीं हो. जिले में करीब चार सौ से अधिक डॉक्टरों के क्लिनिक, पैथोलॉजी व नर्सिंग होम हैं. लेकिन विभाग के पास मात्र 29 नर्सिंग होम व पैथोलॉजी सेंटरों का निबंधन है. इनमें से 27 सीवान शहरी […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
December 20, 2017 12:49 AM
सीवान : जिले में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां डॉक्टरों की क्लिनिक, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी जांच घर नहीं हो. जिले में करीब चार सौ से अधिक डॉक्टरों के क्लिनिक, पैथोलॉजी व नर्सिंग होम हैं. लेकिन विभाग के पास मात्र 29 नर्सिंग होम व पैथोलॉजी सेंटरों का निबंधन है. इनमें से 27 सीवान शहरी एवं मात्र दो ग्रामीण क्षेत्रों के हैं. जिले में जितने डॉक्टर व नर्सिंग होम हैं उतने पैथोलॉजी जांच केंद्र हैं. करीब नब्बे फीसदी जांच घर विभाग के मानक के अनुसार नहीं हैं. इनका न तो विभाग के पास कोई लेखा-जोखा है और न ही इनका पंजीकरण. बिना मानक के चल रहे ऐसे निजी स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों का जमकर आर्थिंक शोषण किया जाता है.
मरीज को ये पता नहीं होता है कि अस्पताल के बेड पर सुलाने वाला व्यक्ति झोला-छाप डॉक्टर है या वैध डॉक्टर. ऐसे संस्थानों की जांच कर कार्रवाई करने का विभाग ने आदेश दिया था. लेकिन, शहरी क्षेत्र के मात्र 39 तथा सभी प्रभारी मेडिकल ऑफिसरों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया.
विभाग ने हाईकोर्ट के निर्देश पर दिया था जांच करने का आदेश : जिले में चल रहे विभिन्न पैथोलॉजी जांच घर, डायग्नोस्टिक सेंटर, नर्सिंग होम, अस्पताल व ब्लड बैंक की अनियमितता की जांच मानक के अनुसार करने का विभाग ने सितंबर में निर्देश दिया था. पूर्व की जांच रिपोर्ट में एकरूपता नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग ने यह निर्णय लिया था. विभाग के संयुक्त सचिव अनिल कुमार ने इस संबंध में सिविल सर्जन को पत्र लिखकर इस मामले में एक सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था.
उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया है कि जनहित याचिका के आलोक में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. इसमें राज्य में संचालित विभिन्न पैथोलॉजी जांच घर, डायग्नोस्टिक सेंटर, नर्सिंग होम, अस्पताल व ब्लड बैंक की अनियमितता की जांच और इसकी वास्तविक स्थिति को दर्शाते हुए शपथ पत्र दायर करने को निर्देशित किया गया है. पत्र में यह भी कहा गया था कि पहले भेजी गयी रिपाेर्ट स्पष्ट नहीं होने के साथ जांच के मापदंडों में एकरूपता भी नहीं थी. इस कारण विभाग ने जांच के लिए एक मानक तैयार किया है. इसके आधार पर ही जांच की जानी है. उन्होंने जांच के अनुसार मानक के अनुसार नहीं पाये जाने पर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था.
झोलाछाप डॉक्टरों व जांच घरों में आशा ले जाती हैं मरीजों को : विभाग के करीब सभी वरीय पदाधिकारियों को पता है कि जिले की करीब 70 प्रतिशत आशा सरकारी अस्पतालों में मरीजों को नहीं ले जाती हैं. जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत विभाग संस्थागत प्रसव कराने की बात तो करता है. लेकिन, धरातल पर सच्चाई कुछ और है. जिले के रघुनाथपुर, जीरादेई, मैरवा व महाराजगंज में महिला डॉक्टर की नियुक्ति की गयी है. लेकिन, रघुनाथपुर व जीरादेई की महिला डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति डॉक्टरों की कमी के कारण सदर अस्पताल में कर दी गयी है. अब मैरवा व महाराजगंज में महिला डॉक्टर हैं, जो सिर्फ सामान्य प्रसव कराती हैं.
शेष अस्पतालों में प्रसव एएनएम के भरोसे है. महिला डॉक्टरों द्वारा सिजेरियन नहीं किये जाने की स्थिति में आशा सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज नहीं होने की बात मरीजों के परिजनों को बता कर झोला छाप डॉक्टरों के पास लेकर चली जाती हैं. सूत्रों के अनुसार पैथोलॉजी जांच में 50 तथा सिजेरियन में 30 प्रतिशत कमीशन के रूप में उन्हें मिलता है.
जिले में भरमार है झोला छाप डॉक्टर व बिना मानक के जांचघरों की
सीवान शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र सभी जगहों पर झोला छाप डॉक्टरों की क्लिनिक कुकुरमुत्ते की तरह खुले हैं. विभाग द्वारा कोई इन पर अंकुश नहीं होने के कारण इनका मनोबल काफी बढ़ा हुआ है. मरीजों को लुभाने के लिए इन्होंने अपने संस्थान के बाहर शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सर्जन, नेत्र रोग विशेषज्ञ तथा ईएनटी विशेषज्ञ का बोर्ड लगाये हुए हैं. भोले-भाले मरीजों को क्या पता कि इनके पास कोई डिग्री है कि नहीं. ऐसे संस्थानों में मरीजों की भीड़ भी काफी रहती है. सूत्र बताते हैं कि सभी डॉक्टरों के पास बिचौलिये किस्म के लोग हैं जो मरीजों को बेहतर सेवा उपलब्ध होने की बात बता कर लाते हैं. इसके बदले में इन्हें एक मोटी रकम भी मिलती है.
बोले जिम्मेदार
विभाग के निर्देश के आलोक में शहर क्षेत्र करीब चार दर्जन से अधिक जांच घरों व नर्सिंग होम को प्रमुख बिंदुओं पर जानकारी मांगी गयी है. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सभी प्रभारी मेडिकल ऑफिसरों को जांच घरों की जांच करने के लिए पत्र दिया गया है.
डॉ शिवचंद्र झा, सिविल सर्जन, सीवान.