इस साल 14 के बजाय 15 को मनायी जायेगी मकर संक्रांति

दरौंदा : लगभग 80 साल पहले संक्रांति 12 या 13 जनवरी को पड़ती थी, जैसा कि उन दिनों के पंचांग बताते हैं. उसके बाद मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाने लगा. पिछले वर्ष 2017 में भी मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनायी गयी. इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं और खरमास समाप्त हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2018 4:12 AM

दरौंदा : लगभग 80 साल पहले संक्रांति 12 या 13 जनवरी को पड़ती थी, जैसा कि उन दिनों के पंचांग बताते हैं. उसके बाद मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाने लगा. पिछले वर्ष 2017 में भी मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनायी गयी.

इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं और खरमास समाप्त हो जाता है. खरमास के समाप्त होते ही शादी विवाह, गृह प्रवेश उपनयन संस्कार सहित सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास में मांगलिक काम करने की मनाही है. इस वर्ष मकर संक्रांति 14 के बजाय 15 जनवरी को मनेगी. इस संबंध में बगौरा निवासी आचार्य जितेंद्र नाथ पांडे से बात करने पर वजह स्पष्ट करते हुए बताया कि सूर्य 14 जनवरी को शाम के 7.35 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस कारण मकर संक्रांति 15 को मनायी जायेगी. उन्हाेंने बताया कि धर्म शास्त्र के अनुसार सूर्यास्त के बाद किसी भी समय मकर सक्रांति लगे, तो उसका पुण्य काल अगले दिन मध्याह्न तक रहता है.
रात्रि में स्नान दान का कोई विधान नहीं होता. इसलिए 14 जनवरी के बजाय, 15 जनवरी को ही इस साल मकर संक्रांति मनाना शास्त्र सम्मत है. मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, चूड़ा-दही, खिचड़ी, लकड़ी और अग्नि दान किया जाता है. इस दिन राशि अनुसार दान कर इसका विशेष फल पा सकते हैं. इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के मकर राशि में पहुंचने पर ही मकर संक्रांति मनाने की प्रथा है. इस दिन गंगा स्नान व दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जायेंगे और खरमास भी समाप्त हो जायेगा.
पुराणों में बताया गया है मकर संक्रांति का महत्व
पिता-पुत्र के बीच आती है निकटता
पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि है. हालांकि ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं, लेकिन इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं. इसलिए पुराणों में यह दिन पिता-पुत्र के संबंधों में निकटता की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. इस दिन यह संयोग प्रतिवर्ष इस तिथि को बनता है.
नकारात्मकता को खत्म करने का दिन
इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी. उन्होंने सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था. इसलिए यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है.
लगभग 80 साल पहले संक्रांति पड़ती थी 12 या 13 जनवरी को
सूर्य 14 जनवरी की शाम 7.35 बजे मकर राशि में करेगा प्रवेश
समुद्र में मिली थी गंगा
एक अन्य पुराण के अनुसार गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था. उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गयी थी.

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