अस्पताल में इलाज के दौरान कांप रही थी सालिया, कहा-नहीं भूल सकती वो मंजर
कहा नहीं भूल सकती वे मंजर आंखों देखी बता सिहर जा रहे थे घायल, ईश्वर को दे रहे थे कोटि-कोटि धन्यवाद सीवान : शुक्रवार की अहले सुबह दहा नदी रेल पुल पर हादसे के वक्त जान बचाने की नियत से कूदे आधा दर्जन घायल लोगों को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. जहां इलाज […]
कहा नहीं भूल सकती वे मंजर
आंखों देखी बता सिहर जा रहे थे घायल, ईश्वर को दे रहे थे कोटि-कोटि धन्यवाद
सीवान : शुक्रवार की अहले सुबह दहा नदी रेल पुल पर हादसे के वक्त जान बचाने की नियत से कूदे आधा दर्जन घायल लोगों को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. जहां इलाज के दरम्यान सभी लोग मौत बनकर सामने आयी पैसेंजर ट्रेन के उस मंजर को देख कर कांप जा रहे थे. सभी लोग कुछ बोलने पर केवल कांप ही रहे थे. सभी घायल जान बचने पर ईश्वर को कोटि-कोटि धन्यवाद दे रहे थे. इनका कहना था कि ईश्वर की कृपा है कि हमलोगों जिंदा बचे नहीं तो हमलोग भी काल के गाल में समा गये रहते. यूं कहा जाये तो दुर्घटना में रेल पुल से छलांग लगाकर बच्चे लोग अपनों के खोने के बाद सदर अस्पताल में कांपते हुए नजर आये.
दुर्घटना में तीन लोगों की घटना स्थल पर ही मौत हो चुकी थी. जबकि एक अन्य घायल मो. असलम ने उपचार के दौरान सदर अस्पताल में दम तोड़ दिया. अपनी मां को खाने के बाद मौत के साये से बची सालिया कभी अपने घायल भाई को देखने जा रही थी तो कभी अपनी मृत मां को देख रही थी. आंखों देखी बताते हुए सालिया खातून ने बतायी कि मेरी मां मेरे दो बर्षिया भाई मुन्ना को लेकर पीछा से आ रही थी और हम आगे जा रहे थे. तब ही मां की आवाज आयी की भागो-भागो. तब तक हम सब कुछ दूर आगे आ गये थे. कुछ लोग भाग रहे थे. जब तक पीछे देखते की ट्रेन गुजर गयी. मेरा भाई एक जगह गिरा हुआ मिला. ऐसे घटना हमने पहली बार देखा था.जिसे देख कर रुह कांप उठी.
इसी बीच स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आकर हमलोगों को अस्पताल में भर्ती कराया. इसी तरह अजाबुल निशा, नैमुल निशा, नुरजहां, मोजबुन निशा तथा झुन्नी बेगम ने बताया कि हमलोगों सोचे नहीं देखे कि ऐसी घटना हमलोगों के साथ होगी. हमलोग अपने घरों को जाने के लिए नवलपुर करबाला से चले थे तब ही यह घटना पुल पार करने के समय हो गयी. अल्लाह का शुक्र है कि हमलोग जिंदा बच गये. वह उस घड़ी को याद कर कांप जा रहे थे जब इनके साथ लोग मौत से बचने के लिए तड़प रहा थे. वे अपने आप को किसी तरह से संभाल रहे थे.
एक बार फिर मौत का गवाह बना झझरिया पुल
शुक्रवार को फिर से एक बार दहा नदी के झझरिया पुल चार मौत का गवाह बन गया. इसके पूर्व में भी इस पुल पर कई घटनाएं हो चुकी है. जिसमें भी लोगों की जान जा चुकी है. यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी कई घटनाएं पूर्व में घटित हो चुकी है. बार-बार हो रही घटनाओं को देख कर भी लोग सबक नहीं ले रहे है. वे अपनी जान को जोखिम में डाल कर इस रेल पुल से आते जाते है. सीवान कचहरी स्टेशन के बगल में दाहा नदी रेल पुल पर आये दिन दुर्घटनाओं के बाद कभी न तो रेल प्रशासन और न तो स्थानीय प्रशासन के लोग सक्रिय हुए. शहर के नवलपुर, आगु छपरा, करबला तकिया तथा रामनगर के लोग इसी रेल पुल के सहारे रोज आते व जाते है.
कई बार ऐसा देखने को मिला है कि जब लोग रेल पुल होते है तब सामने से कोई ट्रेन आ रही होती है. लोग दौड़ कर या तो पुल को पार कर जाते हैं या पुल से उन्हें छलांग लगाकर अपनी जान बचानी पड़ती है. थावे की ओर से करबला तकिया को जाने या आने वाले प्राय: सभी लोग रेल पुल होकर ही आते व जाते है. सुबह एवं शाम में तो साइकिल लेकर डीएवी सेंचुरी पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले छात्र पर पुल पार कर आते व जाते है. लेकिन न तो रेल अधिकारी और न स्थानीय अधिकारियों को ध्यान इस तरफ कभी गया.