विश्व में दुर्लभ है राम वनवास जैसी घटना

सीवान : अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने एक दिन दर्पण देखते हुए कान के पास कुछ श्वेत केश देखकर अपनी वृद्धावस्था के आगमन को समझ कर अयोध्या का राजपाट अपने पुत्र रामभद्र को देने का विचार करके मंत्रिमंडल के समक्ष तत्काल प्रस्ताव रख दिया. सुयोग्य मंत्रियों ने अविलंब प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गुरुदेव वशिष्ठ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2018 3:23 AM

सीवान : अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने एक दिन दर्पण देखते हुए कान के पास कुछ श्वेत केश देखकर अपनी वृद्धावस्था के आगमन को समझ कर अयोध्या का राजपाट अपने पुत्र रामभद्र को देने का विचार करके मंत्रिमंडल के समक्ष तत्काल प्रस्ताव रख दिया. सुयोग्य मंत्रियों ने अविलंब प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गुरुदेव वशिष्ठ ने भी स्वीकृति प्रदान कर दिया.

जब भगवान राम भद्र को गुरुदेव के द्वारा यह समाचार सुनाया गया तो ऐसा शुभ समाचार सुन कर आज का बेटा हर्षातिरेक में नाचने लगता था किंतु संपूर्ण धरती के सम्राट पद की प्राप्ति का समाचार सुन कर रामजी के मुख पर मुस्कान की एक रेखा नहीं आयी और उन्हीं राम को जब प्रातः काल वनवास का दुखद समाचार दिया गया तो एक बार भी विषाद नहीं आया राज तिलक सुनकर जो मुख मुद्रा थी. वनवास का समाचार सुनकर भी वहीं मुख मुद्रा बनी रही. उक्त उद्गार राम जन्मोत्सव गांधी मैदान सीवान में विशाल श्रोता समूह को अपनी विद्वत्तापूर्ण ओजस्वी वाणी से मंत्रमुग्ध करते हुए महाराष्ट्र से आये हुए विद्वान मानस महारथी पं निर्मल कुमार शुक्ल ने कथा के चतुर्थ दिवस व्यक्त किया.

गाजीपुर से आये हुए रामायण के विलक्षण व्याख्या कार पं अखिलेश उपाध्याय जी ने श्रीराम के औदार्य और मर्यादा मय चरित्र की मार्मिक व्याख्या प्रस्तुत करते हुए राष्ट्र धर्म की व्याख्या में कहा कि राम ही राष्ट्र हैं जबलपुर में प्रदेश की परम विदुषी शिरोमणि शर्मा ने केवट चरित्र की भावपूर्ण व्याख्या प्रस्तुत किया. वाराणसी की पावन धरती से पधारे हुए पं रामेश्वर जी उपाध्याय ने राम वनवास की ह्रदयस्पर्शी कथा सुना कर श्रोता समाज को करुणा कर दिया. राम जन्मोत्सव समिति ने सभी धर्मप्रेमी सज्जनों देवियां से हजारों की संख्या में कथामृत पान करने का आग्रह किया है. 25 अप्रैल को श्रीराम जन्म के उपलक्ष्य में विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी

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