सीवान लोकसभा सीट : दो बाहुबलियों की पत्नियों के बीच सीधी टक्कर, ”भगवा बनाम बुर्का” के बीच लड़ाई की हो रही चर्चा
सीवान : बिहार में राजनीति को अपराध के साये से मुक्त किये जाने का मुद्दा भले ही इस बार भी प्रासंगिक हो किंतु सीवान संसदीय सीट पर जिन दो प्रमुख महिला प्रत्याशियों के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है, उनके पतियों की छवि बाहुबली राजनीतिक नेता की है. सीवान लोकसभा सीट पर एनडीए से […]
सीवान : बिहार में राजनीति को अपराध के साये से मुक्त किये जाने का मुद्दा भले ही इस बार भी प्रासंगिक हो किंतु सीवान संसदीय सीट पर जिन दो प्रमुख महिला प्रत्याशियों के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है, उनके पतियों की छवि बाहुबली राजनीतिक नेता की है.
सीवान लोकसभा सीट पर एनडीए से जेडीयू के टिकट पर दरौंधा की विधायक और बाहुबली अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह का मुकाबला पूर्व सांसद एवं बाहुबली नेता मो शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से हैं, जो आरजेडी प्रत्याशी हैं. सार्वजनिक जीवन में हीना शहाब सामान्यत: बुर्के में नजर आती हैं. दूसरी ओर, जेडीयू प्रत्याशी के पति अजय सिंह सीवान में हिंदू युवा वाहिनी के प्रमुख हैं. इस कारण यहां चुनाव प्रचार में ‘भगवा बनाम बुर्का’ की चर्चा है.
सीवान में यादव-राजपूत जातियों और मुस्लिम समुदाय का खासा प्रभाव है. हालांकि, इस बार चुनाव परिणाम पर अति पिछड़ी जातियों का प्रभाव पड़ने की संभावना है. अजय सिंह पत्नी के समर्थन में चुनाव प्रचार के दौरान हिना के बुर्के, मो शहाबुद्दीन की आपराधिक छवि और पाकिस्तान की बातें भी करते रहे हैं. हालांकि, स्वयं अजय सिंह की छवि एक बाहुबली की है और उन पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. कविता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकारों के विकास कार्यों के आधार पर वोट मांग रही हैं. वहीं, हिना शहाब सीवान की ‘बेटी-बहू’ होने के नाते वोट मांग रही हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव में सीवान सीट एनडीए के खाते में गयी थी. लेकिन, इस बार कविता सिंह की राह आसान नहीं दिख रही. इस सीट पर वर्तमान सांसद बीजेपी के ओमप्रकाश यादव हैं. एनडीए में सीटों के बंटवारे के तहत इस बार यह सीट जेडीयू के खाते में गयी है. ऐसे में ओमप्रकाश यादव एवं उनके समर्थकों का पूरा सहयोग कविता सिंह को मिलेगा, इस बारे में संदेह व्यक्त किया जा रहा है.
आरजेडी की हिना शहाब पहले दो बार लोकसभा चुनाव में नाकाम रहीं हैं. उन्हें अपने पति मो शहाबुद्दीन की बाहुबली छवि की भरपाई करने में काफी चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है. विरोधी अपने चुनाव प्रचार में शहाबुद्दीन के दौर के सीवान का जिक्र करना नहीं भूल रहे हैं. राजनीति के अपराधीकरण एवं इस बारे में विरोधियों के आरोप के बारे में पूछे जाने पर हिना शहाब कहती हैं, ‘यह आरोप सीधे-सीधे हमारे परिवार पर लगता है. जब लालू यादव की सरकार बनी थी, तब कहा जाता था कि बिहार में जंगलराज है. आज केंद्र और कई राज्यों में एनडीए की सरकार है, लेकिन आये दिन हत्याएं हो रही हैं, भ्रष्टाचार चरम पर है.’
हिना पलटकर सवाल करती हैं, ‘क्या आज समाज अपराधमुक्त हो गया है?’ इस बारे में उनकी प्रतिद्वंदी कविता सिंह का कहना है, ‘जिन लोगों के कारनामों से डॉ राजेंद्र प्रसाद (देश के पहले राष्ट्रपति) की भूमि सीवान रक्तरंजित हुई, उन्हें जनता बार-बार ठुकरा चुकी है.’ बाबू राजेंद्र प्रसाद का जन्म जीरादेई में हुआ था, जो वर्तमान में सीवान जिले में आता है.
एक समय सीवान पूर्व सांसद जर्नादन तिवारी के नेतृत्व में जनसंघ का गढ़ हुआ करता था. लेकिन, 1980 के दशक के आखिर में मोहम्मद शहाबुद्दीन के उदय के बाद जिले की सियासी तस्वीर बदल गयी. शहाबुद्दीन 1996 से लगातार चार बार सांसद बने. सीवान में नक्सलवाद के बढ़ते प्रभाव के डर से हर वर्ग और जाति के लोगों ने शहाबुद्दीन को समर्थन दिया था.
सीवान के चर्चित तेजाब कांड के मामले में शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सजा होने और जेल जाने के बाद यहां ओमप्रकाश यादव का उदय हुआ. 2009 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ओमप्रकाश यादव चुनाव जीत गये और शहाबुद्दीन के प्रभाव को चुनौती देते हुए नजर आये. 2014 में ओमप्रकाश यादव भाजपा के टिकट पर दोबारा जीते. 1957 से 1984 तक यह सीट कांग्रेस के खाते में रही.