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सीवान : शिक्षा व स्वास्थ्य को ले सांसद से जिलावासियों को काफी उम्मीदें

सीवान : संसदीय क्षेत्र से पहली आधी आबादी सांसद के रूप में निर्वाचित हुई कविता सिंह से जनता की उम्मीदें जग गयी है. इनके पांच साल के कार्यकाल में लोगों के मेडिकल कॉलेज व इंजीनियरिंग कॉलेज के सपने पूरे होने की उम्मीदें बढ़ गयी है. लोगों की मांग इन दो मुद्दे को लेकर रही है. […]

सीवान : संसदीय क्षेत्र से पहली आधी आबादी सांसद के रूप में निर्वाचित हुई कविता सिंह से जनता की उम्मीदें जग गयी है. इनके पांच साल के कार्यकाल में लोगों के मेडिकल कॉलेज व इंजीनियरिंग कॉलेज के सपने पूरे होने की उम्मीदें बढ़ गयी है. लोगों की मांग इन दो मुद्दे को लेकर रही है. यहां पर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल नहीं होने के कारण गंभीर मरीजों को दिल्ली या पटना ही जाना पड़ता है.

मालूम हो कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान लोकसभा क्षेत्र व शहर के विकास के लिए सभी उम्मीदवारों ने वायदा किये थे. अब लोगों की निगाहें नये सांसद की ओर लगी है.
उन्हें भरोसा है कि अब क्षेत्र की सूरत बदलेगी. नये सांसद कविता के सामने शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने, वर्षों से बंद पड़े चीनी मिल को चालू करवाने, सुता फैक्टरी को चालू कराने, शहर के बस स्टैंड में यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराने सहित शहर से गुजर रही दाहा नदी व सरयू नदी को सफाई कराने सहित अन्य कई चुनौतियां है.
यही नहीं किसी भी संसदीय क्षेत्र के लिए शहर के विकास का पैमाना वहां की पहचान होती है. कहने के लिए सीवान जिला सारण प्रमंडल में अलग ही पहचान रखता है, लेकिन जिस तरह से विकास होने चाहिए नहीं हुआ है. मगर देखा जाये तो जमीनी धरातल पर सुविधाओं का घोर अभाव है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण शहर में अव्यवस्थित निर्माण है. बिना किसी प्लानिंग के धड़ल्ले से शहर फैलता जा रहा है.
शहर चारों ओर से समस्याओं से जकड़ चुका है. इसके लिए मास्टर प्लान लागू करना जरूरी है. हालांकि शहर की सूरत बदलना नये सांसद के लिए चुनौती भरा होगा. इसके अलावा शहर में पार्किंग बनाना व सब्जी मंडी व फलमंडी को बाहर ले जाने की जरूरत है. साथ ही यहां की जनता की सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की निर्माण की मांग हमेशा से रहा है. मैरवा के कुष्ठ आश्रम में मेडिकल कॉलेज का मुद्दा रहा है.
जिले में सबसे उपेक्षित क्षेत्रों की चर्चा करें तो इसमें सबसे पहला नाम उच्च शिक्षा का है. आलम यह है कि प्रत्येक वर्ष माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरा करने के बाद हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं या तो पढ़ाई छोड़ देते है या फिर नयी दिल्ली, कोटा, दक्षिण भारत के लिए विभिन्न राज्यों के लिए पलायन कर जाते है. ताकि बेहतर शिक्षा प्राप्त कर नौकरी प्राप्त कर सकें. मेधा के पलायन का सबसे बड़ा कारण यहां रोजगारोन्मुखी शिक्षा का अभाव है.

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