दरियापुर : डेरनी थाना क्षेत्र के पुरनाडीह गांव में तीन किशोरों के डूबने से मौत होने के बाद पूरे गांव में कोहराम मचा हुआ है. हर किसी का रोते-रोते बुरा हाल है. गांव के दो घरों में परिजन के विलाप से माहौल गमगीन था, तो अन्य घरों में मातमी सन्नाटा फैला हुआ है. इस गांव के लोगों ने एक साथ अपने बीच रह रहे तीन किशोरों को हमेशा के लिए खो दिया. अब बस उन तीनों की यादें लोगों के मानस में थीं.
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तीन किशोरों के डूबने के बाद गांव में पसरा मातम
दरियापुर : डेरनी थाना क्षेत्र के पुरनाडीह गांव में तीन किशोरों के डूबने से मौत होने के बाद पूरे गांव में कोहराम मचा हुआ है. हर किसी का रोते-रोते बुरा हाल है. गांव के दो घरों में परिजन के विलाप से माहौल गमगीन था, तो अन्य घरों में मातमी सन्नाटा फैला हुआ है. इस गांव […]
गांव का शायद ही कोई ऐसा आदमी था, जिसके अंदर सचिन, पल्लू व संजीव की असामयिक मौत का गम न हो. तीनों बच्चे के घर लोगों की भीड़ लगी थी. परिजनों के क्रंदन के बीच मृतक के परिजनों को ग्रामीण सांत्वना दे रहे थे. लेकिन जैसे ही मृत बच्चों की यादें बच्चे की मां को आतीं, शव के साथ लिपटकर फूट-फूट कर रो पड़ती थीं.
मृत बच्चों के घर परिजनों, रिश्तेदारों व ग्रामीणों का जमावड़ा यह बताने के लिए काफी था कि इस गांव में किसी असामयिक घटना ने अचानक दस्तक दे दी हो. गांव के किसी घर में सोमवार की रात तथा मंगलवार की दोपहर तक चूल्हा नहीं जला था. हर कोई अपने गांव के तीन किशोरों के अचानक काल के गाल में समा जाने के बाद मर्माहत था. उस चंवर में इस गांव के लोग नहीं जाते थे. लेकिन लावारिस बछड़ा काल बनकर उन किशोरों के सामने आय, जिसे गांव से बाहर करने के चक्कर में चंवर के गड्ढे तक जा पहुंचे.
फिर तीनों किशोर गड्ढे की पानी देख नहाने के लिए गड्ढे में कूद पड़े और तीनों काल के गाल में समा गये. जिन्होंने बच्चे को गड्ढे से निकाला, उन्होंने कहा कि बच्चे का सिर गड्ढे में धंस गया था, जिससे जान चली गयी. बीमार पिता आनंदी राय का बड़ा पुत्र गोड्डू राय एक सप्ताह पूर्व कमाने चला गया था कि पिता अपनी इलाज करा सके. इसी बीच दूसरे पुत्र सचिन की डूबने से हुई मौत से पिता और सदमे में पहुंच गये तो वीरेंद्र राय बेटे संजीव की मौत की खबर मिलते ही पंजाब से लौट रहे हैं.
वहीं शिवजी राय बेटे पल्लू कुमार और भतीजे संजीव के शवों के साथ लिपट कर रो रहे थे, तो मां चुनमुनी देवी अपने बच्चे को देख बेहोश हो जा रही थी. इस वजह से गांव वाले ने तीनों किशोरों के शव गांव से हटाकर धुरमेट बाबा चौक पर रख दिया था. जब अंतिम क्रिया की सब प्रक्रिया पूरी हुई और तीनों किशोर की अरथियां ज्यों ही गांव पहुंची तो सैकड़ों लोग अंतिम दर्शन के लिए मृतक के दरवाजे पर पहुंच गये. फिर वहां के गमगीन माहौल ने सभी की आंखें नम कर दी.
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