जिन्होंने दी थी जिंदगी, उसी की ले ली जान
गोरेयाकोठी : थाना क्षेत्र के छितौली मुसहर टोली निवासी बहारन मांझी के भाई वीगू रावत व उनकी पत्नी का निधन वर्षों पहले हो गया. जिस समय दोनों का निधन हुआ उस समय वीरेंद्र छोटा था. वीरेंद्र के माता-पिता की मौत के बाद वह अनाथ हो गया. इसके बाद वीरेंद्र रावत का पालन-पोषण उसके चाचा बहारन […]
गोरेयाकोठी : थाना क्षेत्र के छितौली मुसहर टोली निवासी बहारन मांझी के भाई वीगू रावत व उनकी पत्नी का निधन वर्षों पहले हो गया. जिस समय दोनों का निधन हुआ उस समय वीरेंद्र छोटा था. वीरेंद्र के माता-पिता की मौत के बाद वह अनाथ हो गया.
इसके बाद वीरेंद्र रावत का पालन-पोषण उसके चाचा बहारन व उनकी पत्नी यशोदा देवी ने की. दोनों ने वीरेंद्र को कभी भी माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. उसकी सारी जिम्मेदारी इन्हीं लोगों के ऊपर थी. यहां तक कि उसकी शादी विवाह भी मृतक ने ही कराया था. लेकिन इसी भतीजे ने अपने पालनहार को ही मौत के घाट उतार दिया.
वह मामूल से विवाद के लिए. वीरेंद्र ने चाचा को चाकू से गोद कर मौत के घाट उतारने की सूचना के बाद गांव में कोहराम मच गया. जानकारी के अनुसार मृतक बाहरन रावत के पांच बेटे और दो बेटियां हैं. बड़े बेटे पप्पू रावत की शादी हो चुकी है. बाकी चार बेटे सत्येंद्र रावत, धर्मेंद्र रावत, उमेश रावत व कलिंदर राऊत और दो बेटियां रीमा और सीमा की शादी नहीं हुई है.
इन सबकी परवरिश की जिम्मेदारी बहारन के कंधे पर थी. इसी बीच क्रूर काल ने इनके सिर से पिता का साया छिन लिया. उन सभी का भविष्य अंधकारमय दिखायी दे रहा है. इसमें उनका भी क्या कसूर जिस व्यक्ति ने अपने भतीजे का सहारा बनकर पालन-पोषण किया आज उसी के बच्चे बेसहारा हो गये. मृतक के बेटे व बेटियों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था.