सीवान : बिहार सरकार ने बीज को हरेक किसान के घर तक पहुंचाने के लिए तकनीकी का सहारा लिया ताकि गलत लोगों के पास बीज का भंडार न पहुंच जाये और असली किसान बीज से वंचित रह जाएं. इस महत्वाकांक्षी योजना को जमीन पर उतारने के लिए कृषि विभाग के कर्मी तकनीकी पक्ष को मजबूत करने में जुटे हुए थे.
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बिना ओटीपी नहीं मिल रहा किसानों को बीज
सीवान : बिहार सरकार ने बीज को हरेक किसान के घर तक पहुंचाने के लिए तकनीकी का सहारा लिया ताकि गलत लोगों के पास बीज का भंडार न पहुंच जाये और असली किसान बीज से वंचित रह जाएं. इस महत्वाकांक्षी योजना को जमीन पर उतारने के लिए कृषि विभाग के कर्मी तकनीकी पक्ष को मजबूत […]
इस तकनीकी का नाम वीआरवीएन है जिसमें ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड बनाने का अधिकार किसानों को भी दे दिया गया है. पहले ऐसा होता था कि मिस्ड कॉल या कॉल करने के बाद उस पंजीकृत किसान के पास ओटीपी पहुंचता था जिसका वही नंबर सिस्टम में दर्ज होता था.
अब सरकार ने इस नीति में परिवर्तन करके यह व्यवस्था दे दी कि पंजीकृत किसान स्वयं ओटीपी जनरेट करके अपने लिए बीज की डिमांड कर सकते हैं और उसी ओटीपी नंबर पर उक्त किसान का बीज संबंधित ब्लॉक के किसान भवन या बिस्कोमान भवन में उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी थी.
तकनीकी गड़बड़ी और विभागीय लालफीताशाही के चक्कर में तकनीक फेल हो गयी है और किसान उस साइट तक नहीं पहुंच पा रहे हैं जहां उन्हें अपने पंजीकरण नंबर के साथ बीज का ऑर्डर देना है. कहां वे बीज का ऑर्डर दें पहले तो साइट तक ही पहुंच नहीं बन पा रही है.
किसानों को बीज के ऑर्डर के साथ अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर देना होता है जिस पर एक नंबर आयेगा जिससे उसके खाते में पहुंचे बीज का विवरण और संबंधित जगह का नाम दर्ज होगा. जब तकनीकी फेल हुई तो किसान सरकारी बीज का मोह त्याग रहे हैं. अगर सरकारी अनुदानित या मुफ्त के बीज के चक्कर में पड़े रहे तो जनवरी तक इंतजार करना पड़ सकता है. किसानों के समक्ष दोहरी परेशानी है वे अगर इंतजार करते हैं तो इस शीतलहर में गेहूं की बुआई भी खतरे से खाली नहीं है
बोले अधिकारी
जिन किसानों से ओटीपी जनरेट नहीं हो पा रहा है वे संबंधित प्रखंड को-ऑर्डिनेटर से संपर्क करके अपने पंजीयन संख्या के साथ कार्यालय आएं और वहां उनका तकनीकी समाधान करके बीज दिया जा रहा है. तकनीकी विफलता होती है सुधारने का प्रयास जारी है.
अशोक कुमार राव, जिला कृषि पदाधिकारी, सीवान
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