जीरादेई का आयुर्वेदिक अस्पताल बदहाल
।। सच्चेंद्र द्विवेदी ।। जीरादेई : देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल में बने अधिकतर कमरे पूरी तरह से जजर्र हो चुके हैं. यहीं नहीं इसका कुछ हिस्सा खंडहर में तब्दील भी हो गया. सबसे खास यह है […]
।। सच्चेंद्र द्विवेदी ।।
जीरादेई : देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल में बने अधिकतर कमरे पूरी तरह से जजर्र हो चुके हैं. यहीं नहीं इसका कुछ हिस्सा खंडहर में तब्दील भी हो गया.
सबसे खास यह है कि इसका शिलान्यास डॉ प्रसाद की पत्नी ने तथा उद्घाटन स्वास्थ्य, कारा व सामान्य प्रशासन के राज्यमंत्री ने किया था. बावजूद इसके जिला प्रशासन अस्पताल के पुनर्निर्माण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.
सूत्रों की मानें तो कार्यपालक अभियंता भवन निर्माण ने इसके पुनर्निर्माण के लिए 10 लाख 99 हजार रुपये का स्टिमेट भी तैयार कर दिया, लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस-की-तस है.
जीरादेई प्रखंड में राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थापना की गयी. तीन कमरों वाले इस अस्पताल का शिलान्यास सात नवंबर, 1957 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की धर्मपत्नी राजवंशी देवी ने किया. अस्पताल में एक चिकित्सक असेसर प्रसाद व सेवक सह रात्रि प्रहरी विनोद प्रसाद की तैनाती की गयी.
30 सितंबर, 1966 को इसका उद्घाटन स्वास्थ्य कारा व सामान्य प्रशासन के राज्यमंत्री नवल किशोर प्रसाद सिंह ने किया. कुछ वर्षो तक अस्पताल सुचारु ढंग से चला, लेकिन देखरेख के अभाव दिन-प्रति-दिन बदहाल होता गया. वर्तमान स्थिति पर गौर किया जाय तो अस्पताल की छत में लगे समस्त छड़ दिखायी दे रहे हैं. वहीं एक कमरे का अधिकतर हिस्सा गिर गया और वह खंडहर की तरह से दिखायी दे रहा है.
सबसे खास बात तो यह है कि चिकित्सक के कमरे में घास-फूस निकल आये है, वहीं पूरा अस्पताल परिसर झाड़- पात से पटा हुआ है. बता दें कि इस अस्पताल रोजना 30 से 40 मरीज आते है. इधर बरसात का मौसम शुरू होते ही चिकित्सक व रात्रि प्रहरी काफी भयभीत हैं. उनके अनुसार अस्पताल के कमरे कभी धराशायी हो सकते है.
यही नहीं कमरे में रखी दवाओं के भीग जाने व खराब होने का डर बना रहता है. कई बार विभागीय अधिकारियों को इसके पुनर्निर्माण के लिए आवेदन दिया गया, लेकिन नतीजा सिफर है. सूत्रों की बातों पर गौर करें तो कार्यपालक अभियंता भवन निर्माण ने इसके पुनर्निर्माण के लिए 10 लाख 99 हजार रुपये का स्टिमेट तैयार किया, लेकिन राजकीय अस्पताल की जगह जिला आयुर्वेदिक अस्पताल अंकित कर दिया. जिससे विभाग के डायरेक्टर ने यह कहते हुए राशि देने से इनकार कर दिया कि राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल को नहीं जिला आयुर्वेदिक अस्पताल को यह राशि दी जायेगी.