जीरादेई स्टेशन का दो माह में विकास करने का वादा कर भूल गये मंत्री
आधुनिक आवश्यक यात्री सुविधाओं को भी करना था बहाल दो माह बाद काम पूरा होने की बात तो दूर,काम ही शुरू नहीं हुआ पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने भी बजट में मॉडल स्टेशन बनाने को कहा था सीवान : गत 24 दिसंबर को सीवान-भटनी रेल खंड के विद्युतीकरण का लोकार्पण करने आये रेल राज्य […]
आधुनिक आवश्यक यात्री सुविधाओं को भी करना था बहाल
दो माह बाद काम पूरा होने की बात तो दूर,काम ही शुरू नहीं हुआ
पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने भी बजट में मॉडल स्टेशन बनाने को कहा था
सीवान : गत 24 दिसंबर को सीवान-भटनी रेल खंड के विद्युतीकरण का लोकार्पण करने आये रेल राज्य मंत्री मनोज कुमार सिन्हा ने मंच से देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के पैतृक गांव स्थित जीरादेई स्टेशन परिसर में दो से तीन माह के अंदर प्रतिमा लगाने व आवश्यक यात्री सुविधा बहाल करने का एलान किया था.
रेल राज्यमंत्री की घोषणा के बाद पूर्वोत्तर रेलवे के महा प्रबंधक मधुरेश कुमार ने दो से तीन माह के अंदर कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का आश्वासन दिया था. पर लगता है कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद रेल राज्यमंत्री व पूर्वोत्तर रेलवे के महा प्रबंधक सीवान की जनता से किये अपने वादों को भूल गये. 24 दिसंबर से लेकर अब तक दो माह पूरे भी हो गये, लेकिन अब तक काम पूरे होने की बात तो दूर,काम भी अब तक शुरू तक नहीं हुआ.
रेल अधिकारियों के अड़ंगा से नहीं लगी प्रतिमा : जीरादेई स्टेशन के बाहरी रेल परिसर में राजेंद्र बाबू की प्रतिमा लगाने के लिए ग्रामीणों ने अपने स्तर से बहुत पहले से ही पार्क का निर्माण कर उसमें प्रतिमा के लिए चबूतरे का निर्माण कर दिया है.
लेकिन रेल अधिकारियों के अड़ंगा लगाये जाने से प्रतिमा नहीं लग सकी. इसके लिए लोगों ने एक संगठन बना कर कई वर्षो तक लड़ाई लड़ी. इस क्रम में कई लोगों पर आरपीएफ द्वारा एफआइआर दर्ज करने के कारण लोगों का आंदोलन ठंडा पड़ गया. इसके बाद जीरादेई स्टेशन की किसी ने सुधि नहीं ली.जब भी चुनाव का समय आता है, तो चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधि सबसे पहले जीरादेई पहुंचते हैं तथा बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जीरादेई व जिले के विकास की बात करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्हें अपने वादे याद नहीं रहते.
बजट में घोषणा के बाद भी नहीं बना मॉडल स्टेशन : तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने अपने मंत्रितत्व काल में जीरादेई स्टेशन को मॉडल स्टेशन बनाने की घोषणा भी की थी. लेकिन, आज तक जीरादेई को मॉडल स्टेशन बनाने की कवायद शुरू नहीं हुई. करीब 36 लाख रुपये की लागत से जीरादेई स्टेशन का जीर्णोद्धार करते हुए आवश्यक यात्री सुविधाओं को बहाल करना था.
लेकिन पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी मॉडल स्टेशन बनाने की पहल शुरू नहीं हुई.जीरोदेई स्टेशन की हालत यह है कि अगर रात में कोई स्टेशन पर उतर जाये, तो उसे खुले प्लेटफॉर्म पर ही बैठ कर रात गुजारनी पड़ेगी. यहां न तो शौचालय की व्यवस्था है और न यात्री विश्रमालय. पुराने समय के बने प्रथम श्रेणी के विश्रमालय रख-रखाव नहीं होने के कारण जजर्र हो गये हैं. इनमें भी न तो पेयजल की व्यवस्था है और न शौचालय की.
क्या कहते हैं अधिकारी
ये बात सही है कि रेल राज्य मंत्री व महा प्रबंधक ने दो से तीन माह के अंदर जीरादेई में राजेंद्र बाबू की प्रतिमा लगा कर आवश्यक यात्री सुविधाएं बहाल करने का वादा किया था.
हमारे वरीय अधिकारियों या विभाग से आज तक काम कराने का आदेश या दिशा-निर्देश नहीं मिला है, जहां तक मॉडल स्टेशन बनाने की बात है तो निर्माण कार्य शीघ्र शुरू होनेवाला है. निर्माण कार्य के लिए टेंडर निकाला गया है. एजेंसी बहाल होते ही कार्य शुरू हो जायेगा.
सत्यम कुमार, सहायक इंजीनियर