आग बुझने के बाद ही पहुंच पाता है अग्नि शमन वाहन
मात्र पांच वाहनों के भरोसे है जिले की आबादी, 1534 गांवों में कई जगहों पर एक साथ अगलगी होने पर कैसे होगा काम जिले की 35 लाख आबादी के लिए जिले में स्थापित अग्नि शमन विभाग के पास संसाधनों का घोर अभाव है. यहां होम गार्ड व अप्रशिक्षितों के भरोसे जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा […]
मात्र पांच वाहनों के भरोसे है जिले की आबादी, 1534 गांवों में कई जगहों पर एक साथ अगलगी होने पर कैसे होगा काम
जिले की 35 लाख आबादी के लिए जिले में स्थापित अग्नि शमन विभाग के पास संसाधनों का घोर अभाव है. यहां होम गार्ड व अप्रशिक्षितों के भरोसे जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है.
एक एएसआइ के अतिरिक्त सभी पद खाली पड़े हैं. साथ ही मात्र एक अग्नि शमन गाड़ी चालू हालत में है और पांच गाड़ियां खराब पड़ी हैं. वहीं महाराजगंज अनुमंडल में एक मध्यम गाड़ी और एक छोटा अग्नि शमन वाहन, बसंतपुर, मैरवा व पचरुखी में एक-एक अग्नि शमन वाहन उपलब्ध हैं. ऐसे में यह कहना लाजमी होगा कि ऐसी स्थिति में अग्नि शमन विभाग राख बुझाने के बाद ही पहुंचेगा.
सीवान : गरमी व पछुआ हवा का प्रकोप शुरू होते ही जिले में अग्नि कांड की घटनाएं शुरू हो गयी हैं. गुरुवार को ही दरौली में भीषण अगलगी में 38 घर जल कर खाक हो गये. वहां अग्नि शमन दल घटना के तीन घंटे बाद पहुंचा. वहीं पिछले साल लगभग डेढ़ सौ अगलगी की घटनाएं हुई थीं, जहां ग्रामीणों का प्रयास ही रंग लाया. अग्नि शमन विभाग के पास संसाधनों का घोर अभाव है. ऐसे में एक समय में कई जगहों पर आग लगी की घटना होने पर कैसे काबू पाया जायेगा. इसका अंदाज सहज ही लगाया जा सकता है.
दमकल के पहुंचने तक राख हो जाता है आशियाना : कायदे से हर प्रखंड में फायर ब्रिगेड की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि आवश्यकता होने पर जल्द-से-जल्द सहायता मिल सके. परंतु अगलगी की स्थिति में जिले के अलग-अलग कोने में पहुंचने में घंटों लग जाते हैं, जिसके कारण दमकल के पहुंचने तक आशियाना जल कर राख हो चुका होता है. इसको लेकर कई बार कर्मियों को आक्रोश का सामना करना पड़ता है.
पानी के लिए भटकते हैं वाहन : अगलगी पर मौके पर पहुंची गाड़ियां जब मौके पर पहुंचती है तो गाड़ी में लोड पानी के प्रयोग के बाद, वहां पानी लोड करने के लिए भटकना पड़ता है. ऐसे में कई किलो मीटर पर तालाब या कुआं की तलाश पूरी होने पर पानी भरा जाता है और फिर प्रभावित स्थान पर काम शुरू होता है. ऐसे में इस काम में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं जिले में मात्र एक गाड़ी है, जिसकी क्षमता नौ सौ गैलन है. वहीं महाराजगंज व अन्य जगहों पर मौजूद गाड़ियों की क्षमता दो सौ व तीन सौ गैलन ही है. ऐसी स्थिति में आग पर कैसे काबू पाया जा सकता है. इसका अंदाज सहज ही लगाया जा सकता है.
न भवन हैं न संसाधन : जिला अग्नि शमन कार्यालय जैसे-तैसे जजर्र भवन में संचालित हो रहा है, जो कभी जमींदोज हो सकता है. ऐसे में कर्मचारी जान हथेली पर लेकर अपनी ड्यूटी बजाते हैं. वहीं अन्य प्रखंडों, जहां यह संचालित हैं, वहां थाने के भरोसे चल रहे हैं. कायदे से कर्मियों को ट्रेंड होना चाहिए और उनके लिए अग्नि निरोधी वस्त्र आदि का भी व्यवस्था होनी चाहिए.
साथ ही प्रत्येक अग्नि शमन वाहन में फस्र्ट एड की व्यवस्था होनी चाहिए. शॉर्ट सर्किट से आग लगने की स्थिति में स्ट्रगियर की भी व्यवस्था होनी चाहिए. परंतु यह सभी व्यवस्थाएं नदारद हैं. विभाग में सभी पद रिक्त पड़े है. इतना ही नहीं अग्नि शमन पदाधिकारी का दायित्व भी एक एएसआइ के भरोसे है. वहीं विभाग के एकमात्र कार्यरत कर्मी है. फायर ब्रिगेड समय पहुंचे, इसके लिए ट्रेंड विभागीय चालक होना चाहिए. परंतु यह काम भी होम गार्ड के भरोसे है.
कैसे दें सूचना : अगलगी की तत्काल सूचना के लिए 108 नंबर की नि:शुल्क व्यवस्था की गयी है. परंतु यह सेवा करीब चार माह से खराब पड़ी है. ऐसे में पीड़ित कैसे देंगे विभाग को सूचना. स्थानीय प्रशासन के भरोसे सूचना के लिए रहना पड़ता है. साथ ही जनता को भी यहां-वहां फोन कर सूचना देनी पड़ती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
विभाग में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास किया जाता है. पर संसाधनों की कमी से परेशानी होती है. जैसे-तैसे जान जोखिम में डाल कर अपना काम करने को मजबूर हैं. विभाग का पदस्थापित कर्मी एकमात्र मैं ही हूं. जहां तक दूरभाष का प्रश्न है, तो उसके लिए बकाया राशि जमा कर दी गयी है. अब विलंब बीएसएनएल द्वारा किया जा रहा है. फिलहाल मेरे मोबाइल नंबर 7091904996 पर सूचना उपलब्ध करायी जा सकती है. किसी भी श्रोत से जानकारी मिलने पर तुरंत कार्रवाई होती है.
सत्येंद्र कुमार सिंह, जिला अग्नि शमन पदाधिकारी, सीवान