देव संस्कृति को मिलना चाहिए प्रोत्साहन

फोटो 03 प्रवचन करते दयाशरण जी महाराज बड़हरिया . रामचरित मानस जीवन जीने की कला सिखाता है. यह किसी संप्रदाय विशेष की पुस्तक नहीं है. अपितु पूरी मानव जाति की पुस्तक है. उक्त बातें दयाशरण जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान प्रखंड के यमुनागढ़ स्थित गढ़ देवी के मंदिर में कहीं. श्रीराम जन्मोत्सव के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2015 10:03 AM

फोटो 03 प्रवचन करते दयाशरण जी महाराज बड़हरिया . रामचरित मानस जीवन जीने की कला सिखाता है. यह किसी संप्रदाय विशेष की पुस्तक नहीं है. अपितु पूरी मानव जाति की पुस्तक है. उक्त बातें दयाशरण जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान प्रखंड के यमुनागढ़ स्थित गढ़ देवी के मंदिर में कहीं. श्रीराम जन्मोत्सव के अवसर पर ज्ञानयज्ञ में दयाशरण जी महाराज ने कहा कि इसमें दो संस्कृतियों का वर्णन है. देव संस्कृति का प्रतिनिधित्व मगवान पुरुषोत्तम श्री राम करते हैं, तो दूसरी संस्कृति रावण की है. एक मनोवृत्ति पशुता से मनुष्यता की ओर ले जाती है, तो दूसरी मनोवृत्ति मनुष्य को पशुता की ओर ले जाती है. रावण ने मारीच को पशु बनाया, जबकि राम ने वानरों को मनुष्यता सिखायी. इस अवसर पर एएसपी अशोक कुमार सिंह व एसडीओ दुर्गेश कुमार ने यज्ञ में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए यज्ञ स्थल का जायजा लिया. मौके पर इंस्पेक्टर ललन कुमार, थानाध्यक्ष एलएन महतो, आलोक सिंह, पूर्व एमएलसी मनोज कुमार सिंह, डॉ सच्चिदानंद गिरि, देवराज चौधरी, अंशुमान सिंह, भारती सिंह, गांधी जी, सुजीत कुमार, अनिल गिरि, आशीष शाही, ओसिहर प्रसाद, सोहन कुमार गिरि आदि उपस्थित थे.

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