इलाज के अभाव में कैदी ने अस्पताल में तोड़ा दम
सीवान : आखिरकार सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में शनिवार की सुबह कैदी योगेंद्र महतो ने उचित इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. बसंतपुर थाने के पड़ौली टोला चनुआ गांव के स्व मढ़ई महतो का पुत्र योगेंद्र अपने पिता की हत्या के मामले में करीब दो साल पहले जेल में आया था. परिजनों ने […]
सीवान : आखिरकार सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में शनिवार की सुबह कैदी योगेंद्र महतो ने उचित इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. बसंतपुर थाने के पड़ौली टोला चनुआ गांव के स्व मढ़ई महतो का पुत्र योगेंद्र अपने पिता की हत्या के मामले में करीब दो साल पहले जेल में आया था.
परिजनों ने बताया कि इस मामलें में योगेंद्र महतो की शीघ्र रिहाई होनेवाली थी, लेकिन चार-पांच महीने से मानसिक रूप से बीमार होने के कारण कोर्ट की कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी थी. 25 मार्च को जेल प्रशासन ने गंभीर स्थिति में इलाज के लिए योगेंद्र महतो को सदर अस्पताल में भरती कराया. उसे तीन माह से बुखार होने की शिकायत थी. जांच में टाइफाइड बीमारी के लक्षण तथा स्थिति में कोई सुधार नहीं होने पर अस्पताल प्रशासन ने बोर्ड की बैठक कर मरीज को पीएमसीएच रेफर करने की अनुशंसा कर दी. उसकी प्रति जेल अधीक्षक व डीएम को भी भेजी गयी.
सदर अस्पताल प्रशासन द्वारा कैदी को रेफर किये जाने के बाद जेल प्रशासन चुपचाप बैठ गया, तो पुन: आठ अप्रैल को सदर अस्पताल ने पुन: जेल अधीक्षक, डीएम व एसपी को सूचना देकर कैदी को उपचार के लिए पटना ले जाने का आग्रह किया. नौ अप्रैल को जेल अधीक्षक का पत्र सदर अस्पताल को मिला, जिसमें उपचार के लिए पटना ले जाने की नहीं बल्कि नौ मार्च को कोर्ट में हाजिर कराने का आदेश था.
कैदी की हालत कोर्ट लाने लायक नहीं थी.इसके बावजूद जेल प्रशासन ने मरीज को कोर्ट में हाजिर कराने के लिए ले गया. संयोग से उस दिन एक अधिवक्ता के निधन के कारण कोर्ट नहीं चला तथा कोर्ट से योगेंद्र को वापस लाया गया. कोर्ट में अगली तारीख 15 अप्रैल निर्धारित की गयी.मगर उसके पहले शनिवार को भगवान की अदालत का फैसला आ गया. कैदी के मौत के बाद उसके परिजन सदर अस्पताल पहुंचे तथा दहाड़ मार कर रोने लगे.मजिस्ट्रेट की देख-रेख में पोस्टमार्टम कराया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
कैदी को उपचार के लिए पीएमसीएच भेजने के लिए सदर अस्पताल के बोर्ड के बाद डीएम के आदेश पर एक बोर्ड कराना पड़ता है. आठ अप्रैल को डीएम के आदेश पर बोर्ड कराया गया. किसी भी प्रक्रिया में समय में लगता है. आठ को सदर अस्पताल का रिमाइंडर मिला. लेकिन कोर्ट द्वारा कैदी को हाजिर कराने के लिए आदेश आ गया. मुङो किसी भी परिस्थिति में कैदी को हाजिर कराना जरूरी था.जेल प्रशासन द्वारा कैदी के इलाज कराने में कोई लापरवाही नहीं की गयी है.
राधेश्याम सुमन, जेल अधीक्षक