नौनिहालों की शिक्षा पर हड़ताल की मार

सीवान : नियोजित शिक्षकों की हड़ताल से विद्यालयों में शिक्षण कार्य ठप है. जिसका खामियाजा सबसे अधिक नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है. शैक्षिक सत्र शुरू हुए तीन सप्ताह का वक्त गुजर गया, लेकिन अब तक नामांकन शुरू नहीं हो सका है. उधर मध्याह्न् भोजन अधिकतर स्कूलों में न बनने से जरूरतमंद बच्चों का दोपहर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2015 7:37 AM
सीवान : नियोजित शिक्षकों की हड़ताल से विद्यालयों में शिक्षण कार्य ठप है. जिसका खामियाजा सबसे अधिक नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है. शैक्षिक सत्र शुरू हुए तीन सप्ताह का वक्त गुजर गया, लेकिन अब तक नामांकन शुरू नहीं हो सका है.
उधर मध्याह्न् भोजन अधिकतर स्कूलों में न बनने से जरूरतमंद बच्चों का दोपहर का निवाला तक छीन गया है.
नामांकन कार्य नहीं हो सका शुरू : जिले के 2127 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के नियोजित शिक्षक हड़ताल पर हैं. विभाग के अनुमान के मुताबिक कक्षा एक में डेढ़ लाख से अधिक छात्रों का नामांकन का लक्ष्य है. इसके अलावा किन्हीं कारणों से विद्यालय से दूर चिह्न्ति 1718 बच्चों का भी नये सत्र पर नामांकन की जिम्मेदारी है. हड़ताल के कारण हाल यह है कि अब तक नामांकन नहीं शुरू हुआ है. साथ ही वंचित चिह्न्ति बच्चों को भी अब तक विद्यालय से जोड़ने का प्रयास नहीं किया गया.
मध्याह्न् भोजन के अधिकार से वंचित हैं बच्चे : सभी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन बनता है. विभाग के मुताबिक जिले के 1350 विद्यालय हड़ताल से ग्रसित हैं. हड़ताल से 450 विद्यालयों पर आंशिक असर पड़ा है. विभाग का दावा है कि जिले के 276 विद्यालय पर हड़ताल का कोई असर नहीं पड़ा है. इन सबके बीच, हड़ताल के कारण मध्याह्न् भोजन न बनने से बड़ी संख्या में बच्चों का दोपहर का भोजन छीन गया है. ऐसे गरीब व जरूरतमंद परिवारों की संख्या पर्याप्त है, जिनके बच्चों के दोपहर के भोजन का सहारा सरकारी स्कूल ही है.
शिक्षा के अधिकार का हो रहा उल्लंघन : शिक्षा का अधिकार के तहत 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा के साथ ही यह आदेशित किया गया है कि प्रत्येक सप्ताह कम -से- कम 45 घंटे तक कक्षाओं का संचालन करना है. जिसका हड़ताल के चलते पालन नहीं हो रहा है. यह शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है.
क्या कहते हैं अधिकारी
हड़ताल के कारण सर्वशिक्षा अभियान के तहत संचालित सभी योजनाओं पर असर पड़ रहा है. इसके बाद भी नियमित शिक्षकों की मदद से कार्यो को पूरा करने की कोशिश की जा रही है. हड़ताल का सबसे अधिक असर नामांकन पर पड़ा है.
राजकुमार,डीपीओ (एसएसए)

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