गुरुजी कब तक आयेगा हमलोगों का रिजल्ट

मैट्रिक के रिजल्ट में हो रही देरी को लेकर काफी परेशान हैं छात्र इंट्रो-अपने भविष्य के प्रति चिंतित छात्र रिजल्ट में हो रही देरी को लेकर काफी परेशान हैं. उनकी मायूसी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये छात्र अपने गुरुजनों से पूछते नहीं थक रहे है कि आखिर कब तक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2015 7:53 AM
मैट्रिक के रिजल्ट में हो रही देरी को लेकर काफी परेशान हैं छात्र
इंट्रो-अपने भविष्य के प्रति चिंतित छात्र रिजल्ट में हो रही देरी को लेकर काफी परेशान हैं. उनकी मायूसी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये छात्र अपने गुरुजनों से पूछते नहीं थक रहे है कि आखिर कब तक हम लोगों का रिजल्ट आयेगा. ये सभी छात्र वर्ग दशम के हैं. अब इन्हें अपने कैरियर को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने के लिए इंटर में नामांकन लेना है.
सीवान : समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर माध्यमिक शिक्षक संघ के मैट्रिक की कॉपियों के मूल्यांकन का बहिष्कार और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से यह समस्या और गहरा गयी है, क्योंकि इन्हें ही कॉपियों की जांच करनी है.
वहीं छात्रों को सरकार द्वारा मई के मध्य तक परीक्षा परिणाम घोषित करने के आलोक में निराशा हाथ लगी है. शिक्षकों के इस कारनामों से जिले के 63 हजार से अधिक छात्र सीधे तौर पर प्रभावित हैं.
25 तक कर देना था मूल्यांकन: बोर्ड द्वारा 25 अप्रैल तक कॉपियों के मूल्यांकन कार्य को करा लेना था. इसके लिए बोर्ड ने 15 से 25 अप्रैल तक की समय सीमा का निर्धारण किया था, परंतु माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा पहले मूल्यांकन का बहिष्कार व बाद में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने के बाद समस्या और गहरी हो गयी है. इस वर्ष सूबे के 14 लाख छात्रों ने मैट्रिक की परीक्षा दी है, जिसमें जिले के 63 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हैं.
जिले में मैट्रिक परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए दो केंद्र डीएवी उच्च विद्यालय व जेड ए इसलामिया उच्च विद्यालय को बनाया गया हैं. इन दोनों केंद्रों पर करीब दो लाख कॉपियों का मूल्यांकन होना है.
नामांकन पर पड़ेगा असर: रिजल्ट में हो रही देरी से एक तरफ जहां दूसरे सूबे में नामांकन में देरी होगी, वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल छात्रों को सफल होने के बाद भी नामांकन से वंचित होना पड़ सकता है.
क्या कहते हैं छात्र
शिक्षकों को छात्रों के भविष्य के बारे में भी चिंता करनी चाहिए. जैसे शिक्षक को अपने भविष्य की चिंता है, वैसे ही हमलोगों को भी अपने भविष्य की चिंता हो रही है.
प्रवीण ठाकुर
गुरुजी अब तो मान जाइए, बहुत हो गया. हमारा क्या कसूर है कि हमलोगों को सजा दी जा रही है. वेतन की मांग को लेकर हमलोगों के भविष्य के साथ क्यों खेला जा रहा है.
जय प्रकाश पड़ित
वेतनमान की मांग को जारी रखते हुए शिक्षकों को कम-से-कम कॉपियों का मूल्यांकन कर देना चाहिए. शिक्षकों की लड़ाई सरकार से है, हमलोगों से नहीं. हम छात्र भी वेतनमान की लड़ाई में शिक्षकों के साथ खड़े हैं.
सुमित कुमार दूबे

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