ऐसे करें खरीफ फसल की उन्नत खेती

सबौर : श्रीविधि से धान की खेती करने के लिए सबसे पहले धान बीज को बीजोपचार करना चाहिए. इसके बाद जूट के बोरे में बंद कर अंकुरण के छोड़ देना चाहिए. इस अंकुरित बीज को ही नर्सरी में लगाना पड़ता है. नर्सरी में उत्पादित 10-12 दिन के बिचड़े को बिना जलजमाव वाले खेत में रोपाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2015 8:24 AM
सबौर : श्रीविधि से धान की खेती करने के लिए सबसे पहले धान बीज को बीजोपचार करना चाहिए. इसके बाद जूट के बोरे में बंद कर अंकुरण के छोड़ देना चाहिए. इस अंकुरित बीज को ही नर्सरी में लगाना पड़ता है. नर्सरी में उत्पादित 10-12 दिन के बिचड़े को बिना जलजमाव वाले खेत में रोपाई की जाती है.
रोपनी के 40 दिनों तक खेत को खर-पतवार से रखें मुक्त
एक सौ वर्गमीटर के बीज स्थली में उपचारित बीज लगाने के लिए एक किलो नत्रजन, एक किलो स्फूर व एक किलो पोटाश डालना चाहिए. बीज गिराने के 15 दिन बाद एक किलो नत्रजन 22 किलो यूरिया का बीज स्थली में उपरिवेशन करना चाहिए. रोपनी के 40 दिनों तक खेत को खर-पतवार से मुक्त रखना का चाहिए.
इसके लिए ब्यूटाक्लोर दवा 50 ईसी 30 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए. धान में हर समय पानी बनाये रखना आवश्यक नहीं है. इसके लिए खेत का हल्का सूखने देना चाहिए, ताकि अधिक कल्ला निकले. बाली निकलने से लेकर पकने तक खेत में दो से तीन सेमी पानी बनाये रखना चाहिए.
धान की खेती सीधी बुआई द्वारा भी की जाती है. यह दो तरह से होता है. एक जुताई के बाद बुआई और दूसरा बिना जुताई किये. जुताई के बाद धान की बुआई के लिए एक सप्ताह पूर्व खेत की सिंचाई कर लेनी चाहिए, ताकि खरपतवार निकल जाये. इसके बाद मशीन से बुआई करनी चाहिए. बीज की मात्र 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, बीज उपचार के बीज को आठ से दस घंटे पानी में भिंगो कर खराब बीज खखड़ी निकाल देना चाहिए.
0.2 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लीन दवा के साथ दो ग्राम वैविस्टीन मिला कर बीज को दो घंटे छाया में सूखा कर मशीन से सीधी बुआई करनी चाहिए. संकर प्रजाति के लिए 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम स्फूर व 40 किलोग्राम पोटाश उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए. सुगंधित धान के लिए 80 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम स्फूर व 20 किलोग्राम पोटाश उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए.
धान में मुख्य रूप से पत्र लांछन, झोंक (ब्लास्ट), शीथ ब्लाइट, फोल्स स्मट आदि रोग लगते हैं. इसके लिए पत्र लांछन में कारबेंडाजिम या मैनकोजेब दवा 2.5 प्रति किलोग्राम बीज की दर से प्रयोग कर बीजोपचार करना चाहिए.
धान की फसल
धान की खेती हमारे देश में मुख्यत: खरीफ मौसम में की जाती है. धान की खेती भूमि की विभिन्न परिस्थितिक स्थिति के अनुरूप किया जाता है. ऊपरी जमीन में जल्द पकने वाले प्रभेद तुरंता, प्रभात, सहभागी, शुष्क सम्राट, सबौर दीप है. मध्यम जमीन में मध्यम अवधि में पकने वाली वेरायटी सीता, कनक, शम्भा महसूरी, राजेंद्र श्वेता, सबौर श्री, सबौर दीप आदि हैं.
नीची जमीन में देर से पकने वाली वेरायटी राजश्री, सत्यम, राजेंद्र महसूरी -एक, स्वर्णा, स्वर्णा सब आदि हैं. अगात, मध्यम व लंबी अवधि में पकने वाली सुगंधित वेरा यटी में सुगंधा, टाइप-3, राजेंद्र सुवासिनी, राजेंद्र कस्तूरी, राजेंद्र भगवती व सबौर सुरभित आदि है.

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