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मजदूर कर रहे पलायन

मनरेगा के तहत वर्ष में सौ दिन काम दिलाने का वादा फ्लॉप गांव में ही मजदूरों का वर्ष में एक सौ दिन काम दिलाने का सरकारी वादा जिले में फ्लाप साबित हो रहा है. मनरेगा के तहत काम न मिलने से निराश मजदूर अब बड़े शहरों की ओर पलायन करने लगे हैं. सीवान : मनरेगा […]

मनरेगा के तहत वर्ष में सौ दिन काम दिलाने का वादा फ्लॉप
गांव में ही मजदूरों का वर्ष में एक सौ दिन काम दिलाने का सरकारी वादा जिले में फ्लाप साबित हो रहा है. मनरेगा के तहत काम न मिलने से निराश मजदूर अब बड़े शहरों की ओर पलायन करने लगे हैं.
सीवान : मनरेगा भारत सरकार की एक पहली ऐसी योजना रही है, जिसमें व्यवस्था की गयी है कि मजदूर के काम मांगने पर हर हाल में वर्ष में सौ दिन रोजगार दिलाया जायेगा. इस योजना के तहत यह प्रावधान किया गया कि मांग के अनुसार बजट उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे बजट के अभाव में कार्य बाधित नहीं होगा.
खास बात है यह कि अन्य विभागों की योजना में बजट के आधार पर कार्य योजना तय की जाती है.लगातार कम हुए काम के अवसर : मजदूरों को वर्ष में एक सौ दिन काम उपलब्ध कराने की योजना के तहत वर्ष 2014-15 में पांच लाख 24 हजार 308 मानव दिवस सृजित हुए, जिसमें एक लाख 27 हजार 829 महिलाएं शामिल थीं.
आंकड़ों के मुताबिक प्रत्येक माह 43 हजार 692 मानव दिवस सृजित हुए.उधर, मौजूदा वित्तीय वर्ष 2015-16 में अप्रैल से जून माह तक अब तक 50 हजार 420 मानव दिवस का सृजन हुआ, जिसमें महिलाओं की भागीदारी 12 हजार 501 रही. इसके मुताबिक अब तक प्रत्येक माह मानव दिवस का सृजन का औसत 16 हजार 806 रहा है.
वर्ष 2014-15 में मानव दिवस सृजन
कुल मानव दिवस- 5,24,308
महिला मानव दिवस-1,27,829
अनुसूचित जाति मानव दिवस-1,17,060
अनुसूचित जनजाति मानव दिवस-18,777
वर्ष 2015-16 जून माह तक-में मानव दिवस सृजन
कुल मानव दिवस- 50,420
महिला मानव दिवस-12501
अनुसूचित जाति मानव दिवस-10484
अनुसूचित जनजाति मानव दिवस-2736
ट्रेनों में हर दिन मजदूरों की दिख रही भीड़
मौजूदा वर्ष में रोजगार के अवसर कम होने के चलते ट्रेनों से बड़े शहरों की ओर मजदूरों का हर दिन पलायन हो रहा है.सीवान रेलवे स्टेशन से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में हर दिन उमड़ रही भीड़ पलायन को साबित करने के लिए काफी है.
जनसेवा एक्सप्रेस, कर्मभूमि एक्सप्रेस, पूरबिया एक्सप्रेस, वैशाली एक्सप्रेस, लिच्छवी एक्सप्रेस, आम्रपाली एक्सप्रेस, बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, अवध असम एक्सप्रेस समेत अन्य ट्रेनों में सफर लोगों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है.सामान्य कोच में भारी भीड़ नजर आ रही है,वहीं आरक्षित कोच में बर्थ मिलना संभव नहीं हो पा रहा है.
पीआरएस के न होने से उत्पन्न हुआ संकट : मनरेगा के संचालन के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पंचायत रोजगार सेवक की तैनाती की गयी है.पिछले अप्रैल माह से पंचायत रोजगार सेवक वेतन निर्धारण की मांग को लेकर सामूहिक अवकाश पर हैं, जिसके कारण मनरेगा का कार्य ठप रहने से परेशान उच्चधिकारियों ने काम न लौटने पर विभागीय कार्रवाई करते हुए उनको बरखास्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी.इसके बाद आंदोलित पीआरएस ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
मनरेगा के संचालन में पीआरएस की हड़ताल के कारण कार्य बाधित हुआ है. अब इनकी जगह इंदिरा आवास सहायक को लगाया गया है, जिससे अब कार्य में तेजी आने की उम्मीद है.
रामनुज,निदेशक,डीआरडीए,सीवान

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