संवाददाता, सीवान
मुख्य सड़क से लेकर निकास द्वार तक दोनों तरफ अवैध रूप से सुबह से रात तक दुकानें सजी रहती है, जिससे यात्रियों के गुजरने वाला मार्ग सकरा हो गया है. उसके बाद टेंपो व रिक्शा के लग जाने से यात्रियों को पैदल चल कर ट्रेन पकड़ना भी मुश्किल हो जाता है.
ऐसी बात नहीं है कि प्राइवेट व व्यावसायिक वाहनों को लगाने के लिए व्यवस्था नहीं है. रेल प्रशासन ने चरपहियों ,टेंपो तथा रिक्शा के लिए अलग-अलग पड़ाव की व्यवस्था की है.इसके अलावा बाइक के लिए अलग से एक स्टैंड की भी व्यवस्था है
. लेकिन इसके बाद भी दोनों प्रवेश द्वार के सामने अतिक्रमण किये जाने से रेलयात्रियों को आये दिन परेशानी होती है.स्टेशन के पश्चिमी प्रवेश द्वार की बात पूछिए मत. इसके मुख्य गेट पर ही कचरे का अंबार लगा हुआ है. लगता है कि रेल प्रशासन ने पूरे शहर का कचरा फेंकने के लिए छूट दे रखी है.
अधिकारियों के आने के पहले हो जाता है चकाचक सीवान जंकशन पर किसी बड़े रेल अधिकारी का जब आगमन होता है, तब एक-दो दिनों के लिए रेलवे का सरकुलेटिंग एरिया अतिक्रमण से मुक्त हो जाता है. अधिकारियों के आने पर ऐसा लगता ही नहीं है कि कुछ घंटों पहले यहां अवैध दुकानें थी.चारों तरफ चकाचक दिखता है.टेंपो हो या चार चक्के वाली गाड़ियां सभी अपने स्थानों पर ही दिखती हैं.पूरे सरकुलेटिंग एरिया में कही गंदगी नहीं दिखती.
क्या कहते हैं सीनियर सेक्शन इंजीनियर : हम लोग तो नहीं चाहते कि सरकुलेटिंग एरिया में किसी प्रकार का अतिक्रमण हो. अधिकारियों के आने के समय आरपीएफ व जीआरपी से सहयोग लेकर अतिक्रमण को हटवाते हैं. इसके बाबजूद पुन: अवैध दुकानें लग जाती है.रेल परिसर से आरपीएफ व जीआरपी को अतिक्रमण हटवाना चाहिए.
क्या कहते हैं अधिकारी
सरकुलंटिंग एरिया सहित रेल परिसर से अतिक्रमण हटाना सीनियर सेक्शन इंजीनियर (कार्य) का काम है.अधिकारियों ने एक-दूसरे की जिम्मेवारी बता कर अपना हाथ खींच लिया है. अजय कुमार श्रीवास्तव, स्टेशन अधीक्षक