लावारिस नवजात शिशु चोरी के चार घंटे बाद बरामद
सदर अस्पताल में मंगलवार को नवजात शिशु की चोरी होने व चार घंटे बाद एक प्राइवेट क्लिनिक से बरामद होने की घटना से सनसनी फैल गयी.बच्चे को जन्म देने के बाद ही उसे मां द्वारा लावारिस छोड़ देने तथा शिशु को महिला स्वास्थ्यकर्मी द्वारा शहर के गांधी मैदान मोहल्ले के एक व्यक्ति को बेच देने […]
सदर अस्पताल में मंगलवार को नवजात शिशु की चोरी होने व चार घंटे बाद एक प्राइवेट क्लिनिक से बरामद होने की घटना से सनसनी फैल गयी.बच्चे को जन्म देने के बाद ही उसे मां द्वारा लावारिस छोड़ देने तथा शिशु को महिला स्वास्थ्यकर्मी द्वारा शहर के गांधी मैदान मोहल्ले के एक व्यक्ति को बेच देने के मामले की पुलिस छानबीन कर रही है.
सीवान : मंगलवार को सदर अस्पताल में अपराह्न् करीब ढाई बजे अफरा-तफरी मच गयी, जब महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी एक नवजात शिशु की चोरी होने के मामले की जांच करने पहुंचीं.
पुलिस को किसी ने फोन कर सूचना दी थी कि बेड संख्या चार पर किसी महिला का एक नवजात शिशु पड़ा था. उस शिशु को किसी व्यक्ति ने चुरा लिया है.
चोरी होनेवाले शिशु के माता-पिता भी वहां से नदारद थे. छानबीन में पता चला कि सोमवार की रात में कोई महिला अपने शिशु को जन्म देने के बाद उसे छोड़ कर चली गयी. मंगलवार को दिन के 11 बजे ए ग्रेड नर्स श्यामा शर्मा ने उस शिशु को किसी व्यक्ति को दे दिया.
पुलिस को जब यह सूचना मिली कि फतेपुर दुर्गा मंदिर के समीप सिंह चाइल्ड केयर में डॉ मनोज कुमार के यहां उस शिशु का इलाज चल रहा है,तो पुलिस ने नर्स श्यामा शर्मा की मदद से सिंह चाइल्ड केयर पर छापा मार कर शिशु को बरामद कर लिया. मौके से शिशु को खरीदने लेने वाले गांधी मैदान निवासी राजा श्रीवास्तव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिससे पुलिस पूछताछ कर रही है.
शिशु के वारिस की तलाश में जुटी पुलिस : शिशु का अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है.इस बीच पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि उस शिशु का वारिस कौन है.
प्रसूता किन परिस्थितियों में शिशु को छोड़ गयी. इन सारे पहलुओं की पुलिस छानबीन कर रही है.फिलहाल शिशु की मां के न मिलने की स्थिति में शिशु की परवरिश चिंता का विषय बनी हुई है.
भरती रजिस्टर में नहीं दर्ज था नाम : शिशु चोरी के मामले का खुलासा होने के बाद यह बात सामने आयी है कि प्रसूता का नाम भरती रजिस्टर में दर्ज क्यों नहीं किया गया.
ड्यूटी पर तैनात महिला स्वास्थ्यकर्मी शिशु की मां का नाम बताने में असमर्थ दिखी. जब बच्च पैदा हुआ और उसकी हालत ठीक नहीं थी, तो उसे एसएनसीयू में भरती नहीं किया गया.
प्राइवेट में जब युवक ने शिशु को भरती कराया, तो नाम राजा श्रीवास्तव की जगह राजा सिंह क्यों लिखाया? स्वास्थ्यकर्मियों व अस्पताल प्रशासन की कार्य शैली पर इस घटना से सवाल उठ रहे हैं.