सीवान : शहर के अस्पताल रोड में डॉ अनीता श्रीवास्तव के नर्सिग होम में ऑपरेशन के दौरान प्रसूता की मौत व हंगामे की घटना के बाद एक बार फिर जिले में चल रहे अवैध अस्पताल व झोला छाप डॉक्टरों के कारोबार का मामला गरमा गया है.
मरीजों की सेवा के नाम पर अवैध कारोबार के जिले भर में फैले खेल की जड़ें इतनी मजबूत हो गयी हैं कि हर घटना के बाद ठोस कार्रवाई करने के बजाय उसकी लीपापोती शुरू हो जाती है. इसके चलते चिकित्सा का अवैध कारोबार बढ़ता जा रहा है.
जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में झोला छाप डॉक्टर, जिनके पास डॉक्टर होने की कोई डिग्री नहीं है, दिनदहाड़े मरीजों को इलाज के नाम पर लूट रहे हैं.
कुछ ऐसे भी हैं जो अपने बोर्ड में एमबीबीएस ,एमडी और एमएस की डिग्री भी लगाये हैं. विभाग ने ऐसे डॉक्टरों से लोगों को बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है. जिले के महाराजगंज,मैरवा और जिला मुख्यालय में ऐसे झोला छाप डॉक्टरों की भरमार है.
स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी सिविल सजर्न के दफ्तर के समीप ही कई फर्जी डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं.
क्लिनिकल एस्टेबलिसमेंट एक्ट के तहत नहीं हैं नर्सिग होम : विभाग ने राज्य के सभी प्राइवेट नर्सिग होमों को क्लिनिकल एस्टेबिलसमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य तो कर दिया, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका.जिले में इसके लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया.
लेकिन जिले के सभी नर्सिग होमों को इसके दायरे में नहीं लाया जा सका. इससे पहचान करना मुश्किल हो गया कि कौन से नर्सिग होम में डॉक्टर सही हैं और कौन से में फर्जी.
नर्सिग होम रजिस्ट्रेशन के लिए करीब एक दर्जन से अधिक लोगों ने विभाग को आवेदन किया. कुछ लोगों को औपबंधिक रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र भी मिल गया.
जिसकी वैधता करीब एक साल है.लेकिन बाद की कार्रवाई करने के मामले में विभाग फिसड्डी साबित हुआ.जिले में करीब दो दर्जन नर्सिग होम ऐसे हैं, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज करने के लिए अधिकृत हैं. इनमें से किसी भी नर्सिग होम का स्थायी रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा नहीं किया गया है.