4.78 लाख हेक्टेयर सिंचाई का लक्ष्य

जल संसाधन विभाग करा रहा नहरों का पक्कीकरण व सुदृढ़ीकरण किसानों को मिल सकेगी बेहतर सिंचाई सुविधा सीवान : भारत कृषि प्रधान देश है, जहां किसानों को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना गया है. लेकिन बदहाली व परेशानी किसानों की नियति बन गयी है. किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए बन नहरें भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2015 7:31 AM
जल संसाधन विभाग करा रहा नहरों का पक्कीकरण व सुदृढ़ीकरण
किसानों को मिल सकेगी बेहतर सिंचाई सुविधा
सीवान : भारत कृषि प्रधान देश है, जहां किसानों को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना गया है. लेकिन बदहाली व परेशानी किसानों की नियति बन गयी है. किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए बन नहरें भी शोभा की वस्तु बन कर रह गयी हैं और लक्ष्य से काफी कम पटवन हो पा रहा है.
कुल मिला कर जिले के 25 प्रतिशत खेतों का पटवन ही नहरों के पानी से हो पा रहा है. सारण नहर योजना की शुरुआत के समय इसका लक्ष्य 4.78 लाख हेक्टेयर खेतों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना था, लकिन नहरों के रख-रखाव व विभागीय लापरवाही के कारण इसकी काबिज क्षमता 3.20 लाख हेक्टेयर बतायी जा रही है. वास्तविकता यह है कि इससे काफी कम क्षेत्रों में ही पटवन की सुविधा उपलब्ध हो पा रही है.
क्या है योजना : गंडक परियोजना की सिंचाई व्यवस्था के अंतर्गत नहर के पुन: स्थापन सह जीर्णोद्धार का कार्य कराया जाना है. इसके अंतर्गत वितरणी, उपवितरणी व लघु नहर के जीर्णोद्धार का कार्य हो रहा है. इन नहरों के बेड व बांध का पक्कीकरण कराया जा रहा है.
इसके लिए 1800 करोड़ रुपये खर्च होंगे,जिसके लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके तहत नहर के बेड व बांध को कंकरीट से ढाल कर पक्का बनाया जा रहा है. यह कार्य 9 ग्रुपों में बांट कर संवेदकों द्वारा कराया जा रहा है. यह कार्य 2017 तक पूरा कर लिया जाना है. इस कार्य के बाद नहरों का पूरी तरह पक्कीकरण हो जायेगा, जिससे नहरों में बहाव सही होगा व कटाव की समस्या से भी निजात मिलेगी.
क्या है स्थिति : वर्तमान में नहरों की स्थिति अच्छी नहीं है. जगह-जगह कटाव व पानी की बरबादी की समस्या आम है, जिससे खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है और वितरणी के बांध टूटने से हजारों एकड़ फसल बरबाद हो जाती है.
विभाग के अनुसार इस क्षेत्र में नहरों में झाड़-पात आदि बहुत तेजी से उगते हैं, जिससे नहरों का बहाव प्रभावित होता है और उसके बहाव की गति कम होने से नहरों में गाद भर जाती है, जिसकी सफाई समय-समय पर करानी पड़ती है. इससे भी राजस्व का भारी नुकसान होता है. वहीं नहरों को जगह-जगह काटने की समस्या भी आम है.
क्या होगा फायदा : नहरों के बेड व बांध का पक्कीकरण हो जाने से इनमें झाड़- पात जमने की समस्या से निजात मिलेगी. साथ ही अब बांधों का कटाव भी नहीं होगा और बहाव सही होने से गाद जमने की समस्या भी न के बराबर होगी. अगर कुछ मात्रा में वर्षों में गाद का लेवल जम भी जाता है, तो उसे
आसानी एवं काफी कम खर्च पर साफ किया जा सकेगा. साथ ही अब जगह -जगह नहर को काट कर खेतों में पानी ले जाने की समस्या से भी निजात मिलेगी. अब चिन्हित जगहों पर आउटलेट बनाया जायेगा, जिससे खेतों तक पानी पहुंचेगा और पानी की बरबादी पर भी रोक लग सकेगी.
क्या कहते हैं अधिकारी
नहरों के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है. इससे नहरों की स्थिति सुधरेगी और निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया जा सकेगा. अगले चरण में मुख्य नहर, उपनहर व शाखा नहर का भी पक्कीकरण किया जायेगा. साथ ही नये क्षेत्रों में भी नयी नहरों के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.
विभाग का लक्ष्य पूरे क्षेत्र के किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है और इस दिशा में विभाग लगातार कार्य कर रहा है.
दिनेश कु चौधरी मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग, सीवान

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