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55 हजार में बिका अजमेरी बकरा तोतापरी यूपी के बकरे की सर्वाधिक मांग बकरीद करीब आते ही सजा बकरा बाजार

संवाददाता : सीवान शहर के चिक टोली मोड़ पर पहले से चहल-पहल अधिक है. यहां पिछले एक सप्ताह से बकराें का बाजार सजा हुआ है. ये बकरे भी चंद रुपयों के नहीं 50 से 55 हजार तक के हैं. अनजान लोगों को बकरे की कीमत भले ही आश्चर्यजनक लग सकती हैं,पर यहां आनेवाले खरीदारों के […]

संवाददाता : सीवान शहर के चिक टोली मोड़ पर पहले से चहल-पहल अधिक है. यहां पिछले एक सप्ताह से बकराें का बाजार सजा हुआ है. ये बकरे भी चंद रुपयों के नहीं 50 से 55 हजार तक के हैं.

अनजान लोगों को बकरे की कीमत भले ही आश्चर्यजनक लग सकती हैं,पर यहां आनेवाले खरीदारों के लिए बकरीद पर बकरा की ऊंची कीमत होना आश्चर्य नहीं है.

अजमेरी नस्ल का तोता परी नाम का बकरा सोमवार को 55 हजार में बिका .खरीदार गोपालगंज के मो नजीमुद्दीन थे.

अल्लाह की इबादत में कुरबानी का त्योहार बकरीद करीब आते की तैयारी शुरू हो गयी है.लगातार तीन दिनों तक चलने वाली कुरबानी के रिवाज को यादगार बनाने के लिए तैयारी भी कुछ ऐसी ही दिख रही है.

शहर के चिक टोली मोड़ पर सजे बकरों के बाजार में हर दिन दर्जन भर बकरों की बिक्री हो रही है. यहां आनेवाले खरीदार जिले के अलावा गोपालगंज के भी बड़ी संख्या में हैं.

रंग व नस्ल के साथ है मांग : कारोबारी किला चौराहा निवासी इरसाद अहमद कहते हैं यहां सबसे अधिक यूपी के आजमगढ़, बहराइच, कानपुर, बाराबंकी के अलावा मध्य प्रदेश सहित पर्वतीय क्षेत्र के बकरे बिक्री के लिए मौजूद हैं. बकरों के रूप-रंग के अनुसार ही उसके नाम भी है.
अजमेरी बकरा तोता परी 55 हजार में बिका है, तो वहां का छोटी परी की अब तक बोली 35 हजार तक लग चुकी है, जिसके और ऊंचे जाने की उम्मीद है.
बकरा के कारोबारियों में यहां वकील,नसीम खान, राजू, इरफान शामिल हैं.
बकरों के दाम पर एक नजर
देशी बकरा-5 हजार से 14 हजार.
राजस्थानी बकरा-9 हजार से 20 हजार.
कानपुरी बकरा-10 से 25 हजार.
पर्वती बकरा-10 हजार से 30 हजार.
तीन दिनों तक चलती है कुरबानी का रस्म
बकरीद खुशियों का त्योहार है. इस दिन बकरे की कुरबानी देकर अल्लाह की इबादत की जाती है.रस्म के अनुसार अल्लाह के लिए सबसे प्यारी चीज की कुरबानी दी जाती है,
जिसमें बकरे को महत्वपूर्ण माना गया है. अपनी सामर्थ के अनुसार बकरा की कुरबानी व उसके बाद उसकी सिरनी को अकीदतमंदों के बीच वितरित किया जाता है.खास बात है कि यह रस्म लगातार तीन दिनों तक चलती है. ईद की बाद खुशियों के त्योहार के रूप में बकरीद को ही मनाया जाता है.

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