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10 शक्षिकों के सहारे है 13 सौ छात्र-छात्राओं का भवष्यि

10 शिक्षकों के सहारे है 13 सौ छात्र-छात्राओं का भविष्य विज्ञान संकाय में सिर्फ एक शिक्षक हैं कार्यरतकला संकाय में हैं मात्र दो शिक्षक करीब सात किमी के दायरे में है एकमात्र उच्च विद्यालयफोटो- 08़ प्रधानाचार्य अशोक कुमार श्रीवास्तवफोटो- 09़ पेड़ के नीचे पढ़ते छात्रफोटो- 10 विद्यालय का भवन. रघुनाथपुर/दरौली . दरौली प्रखंड क्षेत्र के […]

10 शिक्षकों के सहारे है 13 सौ छात्र-छात्राओं का भविष्य विज्ञान संकाय में सिर्फ एक शिक्षक हैं कार्यरतकला संकाय में हैं मात्र दो शिक्षक करीब सात किमी के दायरे में है एकमात्र उच्च विद्यालयफोटो- 08़ प्रधानाचार्य अशोक कुमार श्रीवास्तवफोटो- 09़ पेड़ के नीचे पढ़ते छात्रफोटो- 10 विद्यालय का भवन. रघुनाथपुर/दरौली . दरौली प्रखंड क्षेत्र के एकमात्र विद्यालय ब्रह्मर्षि देवराहा बाबा उच्च विद्यालय सह इंटर काॅलेज पंचबेनिया, जो प्रोजेक्ट कन्या विद्यालय के रूप में 1982 में स्वामी प्रेमा नंद उर्फ पयहारी महाराज द्वारा स्थापना की गयी थी, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ जगन्नाथ मिश्रा ने 1984 में प्रस्वीकृति प्रदान कर दी़ तब से यह विद्यालय उतार-चढ़ाव के साथ नित्य नयी ऊंचाइयाें को छू रहा है़ क्षेत्र का एकमात्र प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय जहां छात्राओं के साथ छात्र भी अध्ययन करते हैं. आज आलम यह है कि यह विद्यालय सरकार व प्रशासन की बेरुखी के कारण आंसू बहा रहा है़ यहां अध्ययन करनेवाले पूर्व के छात्र देश में विभिन्न पदों पर पदासीन हैं. आज स्थिति यह है कि शिक्षकों के अभाव में पठन-पाठन समुचित तरीके से नहीं हो पा रहा है़ 13 सौ छात्र-छात्राओं पर प्रधानाध्यापक के अलावा दो पुराने सहायक शिक्षक एवं चार नियोजित शिक्षक उच्च विद्यालय स्तर पर पदस्थापित हैं. वहीं दूसरी तरफ +2 के लिए हिंदी, संस्कृत एवं राजनीति शास्त्र (कला संकाय) को पढ़ाने वाले सिर्फ तीन शिक्षक पदस्थापित हैं. ऐसी स्थिति में गुणवत्ता पूर्ण पढ़ाई एवं पाठ्यक्रम को पूरा कर पाना असंभव-सा लगता है़न जाने किस विकास को लेकर सरकार यह ढोल पीट रही है कि शिक्षा के क्षेत्र में बिहार में काफी प्रगति हुई है़ सच तो यह है कि आज के वैज्ञानिक युग में कंप्युटर शिक्षा की कौन कहे, यहां के छात्र विज्ञान की पढ़ाई शिक्षक के अभाव में ठीक ढंग से नहीं कर पाते है़ं कारण विज्ञान शिक्षक का अभाव है़ वैसे सरकारी मापदंड के अनुसार छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुपात में कमरों का भी घोर अभाव है, तो दूसरी तरफ छात्राओं के लिए अलग शौचालय का अभाव है़ कमरों की स्थिति यह है कि बच्चे विद्यालय परिसर में बरगद के पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को विवश हैं.इंटरमीडिएट कला संकाय में प्रवक्ता पद पर कार्यरत डाॅ सुशील नारायण तिवारी बताते हैं कि शिक्षकों के अभाव के कारण इतिहास, मनोविज्ञान, संगीत एवं भूगोल जैसे महत्वपूर्ण विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती है़ छात्राएं खुद इन विषयों में किसी तरह कामचलाऊ पढ़ाई करती हैं तो दूसरी तरफ +2 में विज्ञान संकाय में भौतिकी के एकमात्र शिक्षक होने के कारण विज्ञान संकाय में नामांकन तक नहीं हो पाता है, जिससे इस क्षेत्र की छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है़क्या कहते हैं प्राचार्यशिक्षकों के अभाव के कारण पठन-पाठन का कार्य जिस तरह से होना चाहिए, नहीं हो पा रहा है, जबकि छात्रों की जानकारी के साथ ही शिक्षकों के अभाव की भी सूचना जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास कई बार दी जा चुकी है, पर अफसोस है कि इस संबंध में अश्वासन के सिवाय कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ़ वहीं उन्होंने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों का अभाव तो वैसे ही है और अगले साल जनवरी माह में ही विद्यालय के वरीय शिक्षक ध्रुव उपाध्याय सेवानिवृत्त हो जायेंगे तो और भी समस्या बढ़ेगी. अशोक कुमार श्रीवास्तव

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