समय के साथ बदल गये दीये के रंग व रूप
समय के साथ बदल गये दीये के रंग व रूपअंधेरे से संघर्ष को प्रेरित करता है दीपक दरौंदा़ दीपों के पर्व दीपावली को महज चंद घंटे शेष हैं. इस पर्व को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ने लगी है़ धन से धर्म को जोड़ले वाले इस पर्व के आगमन को ले तैयारी जाेर-शोर से जारी है़ […]
समय के साथ बदल गये दीये के रंग व रूपअंधेरे से संघर्ष को प्रेरित करता है दीपक दरौंदा़ दीपों के पर्व दीपावली को महज चंद घंटे शेष हैं. इस पर्व को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ने लगी है़ धन से धर्म को जोड़ले वाले इस पर्व के आगमन को ले तैयारी जाेर-शोर से जारी है़ घरों की साफ-सफाई व रंग-रोगन चल रहा है़ बाजारों में दीये, बल्ब, पटाखे, लाई-बतासे व लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों की दुकानें पर भीड़ लग रही है. लोगों में उत्साह का माहौल है़ रोशनी का प्रतीक कहा जाने वाला दीपक अनादि काल से भयानक व घने जंगलों में भटकते मनुष्य को अंधेरे के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए सदैव प्रोत्साहित करता रहा है़ अनेक प्राचीन उत्खननों में प्राप्त अवशेषों में अलग-अलग किस्म के मिट्टी क दीये प्राप्त हुए हैं, जिससे इनके दीर्घकालीन इतिहास व अस्तित्व की लंबी कहानी का पता चलता है़ हमारे प्रत्येक मांगलिक, सांस्कृतिक व धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ करने की प्रथा के कारण दीपक के महत्व का ज्ञान होता है़ समय के साथ दीपक के रंग रूप व आकार में अनेक परिवर्तन हुए व इसका रूप निखरता गया है़ अति प्राचीन काल में मिट्टी के हाथ से आकार देकर बनाये जाते थे़ इसके बाद चाक के आविष्कार से इसके रंग-रूप को ओर अधिक सुंदरता प्रदान की़ फिर धीरे-धीरे चांदी, पीतल आदि धातुओं की तरह-तरह डिजाइन व आकृति में दीपक का निर्माण होने लगा़ चाइनीज मूर्तियों का पूजन अशुभ : श्रीश्री शैलेश गुरु जीपीली मिट्टी से बनी मूर्ति की करें पूजाफोटो़ श्रीश्री शैलेश गुरु जीदरौंदा़ आज दीप पर्व दीपावली है़ इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के कोलकाता से दरौंदा प्रवास पर आये युवा संत, आध्यात्मिक गुरु वास्तु एवं ज्यातिषविद श्रीश्री शैलेश गुरु जी ने प्रभात खबर से विषेष भेंटवार्ता में बताया कि दीपावली पर चाइनीज लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियों का पूजन अशुभ होता है़ यह धर्मशास्त्र सम्मत नहीं है. वहीं इसका एक कारण यह है कि ये मूर्तियां प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं. इन मूर्तियों में आस्था का भाव भी नहीं होता है़ लोगों को इनकी पूजा नहीं करनी चाहिए़ गुरु जी के अनुसार कुम्हार द्वारा तैयारी की गयी पीली मिट्टी की मूर्तियों की पूजा सबसे ज्यादा श्रेष्ठ व लाभकारी होती है़ इसके अलावा चांदी की गणेश जी और सोने की लक्ष्मी जी की मूर्ति का पूजन करना भी श्रेष्ठ होता है़ अगर किसी कारण से मिट्टी की मूर्ति उपलब्ध न हो, तो सुपारी को गणेश जी और हल्दी की गांठ को मां लक्ष्मी मान कर पूजा कर सकते हैं. यह बहुत ही शुभ होता है़ किसी कारण सुपारी भी उपलब्ध न हो सके तो हल्दी की गांठ को गणेश जी और कमल गट्टे को मां लक्ष्मी मान कर पूजा कर सकते हैं. यह और भी शुभकारी हो सकता है़ कमल गट्टे की माला को मां लक्ष्मी को अर्पण कर ही महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप श्रेष्ठ व फलकारी होता है़ पूजन मुहूर्त पर उन्होंने बताया कि प्रदोष लग्न, वृष लग्न, सिंह लग्न, कुम्भ लग्न और अमृत चर और शुभ की चौघड़िय स्थिर लग्न श्रेष्ठ है़पटाखे व मूर्तियों की खरीदारी को उमड़े लोगफोटो़ 10 सीवान दरौंदा 1- पटाखे की दुकान पर उमड़ी भीड़ दरौंदा़ बुधवार को मनाया जाने वाला दीपों का पर्व दीपावली व लक्ष्मी के स्वागत के लिए दरौंदा प्रखंड मुख्यालय सहित लीला साह के पोखरा, बगौरा, रानीबाड़ी, डीबी बाजार, जलालपुर, भीखाबांध, रामगढ़ा, शेरपुर सहित विभिन्न बाजारों में सामग्री खरीदारी के लिए मंगलवार की सुबह से लेकर शाम तक दुकानों पर भीड़ उमड़ी रही़ लोग मंहगाई के बावजूद खरीदारी से नहीं चूक रहे थे़ लोग पूजा के लिए सामान की खरीदारी खूब कर रहे थे़ वहीं बाजारों में चाइनीज लाइटों की बिक्री भी खूब हो रही थी़ लोग बाजार से टुन्नी बल्ब खरीद कर अपने घरों को सजाने में लगे थे़