भवन नर्मिाण के छह करोड़ वापस
भवन निर्माण के छह करोड़ वापसबदहाली. संसाधनों की कमी से जूझ रहा है पांच कमरों में सिमटा सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान छह वर्षों से किराये के मकान में चल रहा संस्थान, जगह की कमी से नहीं होतीं प्रायोगिक कक्षाएंसंस्थान से प्रशिक्षित छात्रों को नामचीन कंपनियों में नौकरी के लिए करनी पड़ती है कड़ी मशक्कतजिला प्रशासन […]
भवन निर्माण के छह करोड़ वापसबदहाली. संसाधनों की कमी से जूझ रहा है पांच कमरों में सिमटा सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान छह वर्षों से किराये के मकान में चल रहा संस्थान, जगह की कमी से नहीं होतीं प्रायोगिक कक्षाएंसंस्थान से प्रशिक्षित छात्रों को नामचीन कंपनियों में नौकरी के लिए करनी पड़ती है कड़ी मशक्कतजिला प्रशासन ने संस्थान के लिए उपलब्ध करायी जमीन, नये साल में भवन बनने की आसफोटो 07 उपकरण जो छात्रों के काम में नहीं आते.फोटो 06 किराये के मकान में चल रहा आइटीआइ.संवाददाता, सीवान. शहर के नई बस्ती महादेवा मोहल्ले के एक किराये के मकान में करीब छह वर्षों से जिले का एक मात्र सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान चल रहा है. इसकी स्थापना 2009 में हुई थी. लेकिन जगह नहीं मिलने पर 2009-10 में यह संस्थान एक साल तक गोपालगंज जिला मुख्यालय में चलाया गया. उसके बाद यह सीवान शहर के महादेवा मोहल्ले में चल रहा है. स्थापना काल से ही अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे संस्थान को खुले करीब छह वर्ष हो गए . लेकिन आज तक एनसीबीटी से कई पाठ्यक्रमों को पढ़ाने की अनुमति नहीं मिली. इसके कारण जिले के छात्रों को लाचारी में निजी संस्थानों में अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है. जिन छात्रों के पास पैसे हैं, वे तो प्राइवेट संस्थानों में नामांकन कराकर प्रशिक्षण ले लेते हैं. लेकिन गरीब छात्र इससे वंचित हो जाते हैं.औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के भवन के लिए प्रशासन ने दरौंदा के पास पांच एकड़ जमीन वर्षों पहले उपलब्ध करा दिया है. सत्र 2012-13 में विभाग ने भवन के लिए करीब छह करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिए थे. प्रबंधन की भवन निर्माण में कोई रुचि नहीं लेने पर पैसे वापस कर दिये गये. संस्थान में नहीं चलतीं प्रायोगिक कक्षाएंकमरों व जगह की कमी के कारण औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में छात्रों की प्रायोगिक कक्षांए नहीं चलती. थ्योरी की कक्षाएं किसी तरह चलती हैं. संस्थान के पास विभाग ने इतने उपकरण और फर्नीचर उपलब्ध करा दिया है कि उसी से पूरा परिसर भरा पड़ा है. इस संस्थान में बच्चों को प्रायोगिक कक्षाएं चलाने के लिए विभाग ने सभी तरह के संसाधनों को उपलब्ध कराया है. सभी उपकरण रखरखाव के अभाव में बरबाद हो रहे हैं. प्रयोग करने की बात तो दूर छात्रों को उपकरणों के दर्शन तक नहीं होते हैं. प्रायोगिक कक्षाएं नहीं होने के कारण प्रति वर्ष सभी ट्रेडों में सीट खाली रह जाते हैं. इस साल 156 में मात्र 112 सीटों पर छात्रों ने नामांकन लिया है. विभाग ने सीटें भरने के लिए काउंसलिंग कर 34 छात्रों की सूची दोबारा भेजी है.इंस्ट्रक्टर व कर्मचारियों के आधे से अधिक पद खालीइस संस्थान में इलेक्ट्रीशियन, फीटर, मेकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डीजल मेकेनिक,आइटीसीएसएम और वेल्डर ट्रेड में छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है.सभी ट्रेडों को मिलाकर चौदह इंस्ट्रक्टर का पद है. जिसमें मात्र पांच इंस्ट्रक्टर ही छात्रों को प्रशिक्षण देते हैं. इन पदों के अलावे सहायक प्राचार्य,ड्राइंग अनुदेशक के दो, मैथ अनुदेशक के दो, यूडीसी के एक और एलडीसी के एक पद खाली हैं. विभाग द्वारा समय-समय पर प्राचार्य व इंस्ट्रक्टरों को अन्य कार्यों में लगाये जाने से छात्रों की कक्षाएं बाधित होती हैं.सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की हालत भले ही दयनीय रहे. लेकिन प्राइवेटों संस्थान ठीक से चले. इसकी जांच की जिम्मेवारी सरकारी आइटीआइ के प्राचार्य पर है. इनको समय-समय पर प्राइवेट संस्थानों की जांच कर रिपोर्ट देनी होती है.क्या कहते हैं प्रभारी विभागीय कार्य से प्राचार्य पटना गये हैं. भवन की कमी के कारण छात्रों को प्रशिक्षण में असुविधा होती है. सभी ट्रेड की प्रायोगिक कक्षाएं नहीं चल पातीं. भवन के लिए करीब छह करोड़ रुपये विभाग ने उपलब्ध कराया था. भवन नहीं बनने पर पैसे वापस लौटा दिये गये. अखिलेश शरण तिवारी, प्रभारी प्राचार्य