अच्छी फसल के लिए जिंक महत्वपूर्ण
अच्छी फसल के लिए जिंक महत्वपूर्णपोषक तत्वों की कमी का पता लगाने के लिये किसान करायें मिट्टी की जांचकृषि वैज्ञानिकों ने दिया सुझाव30 से 40 फीसद तक उत्पादकता होती है प्रभावितदरौंदा़ रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है़ किसान अपने खेतों में फसल लगाने की तैयारी में जुटे हैं. फसल लगाने के समय किसान पर्याप्त […]
अच्छी फसल के लिए जिंक महत्वपूर्णपोषक तत्वों की कमी का पता लगाने के लिये किसान करायें मिट्टी की जांचकृषि वैज्ञानिकों ने दिया सुझाव30 से 40 फीसद तक उत्पादकता होती है प्रभावितदरौंदा़ रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है़ किसान अपने खेतों में फसल लगाने की तैयारी में जुटे हैं. फसल लगाने के समय किसान पर्याप्त मात्रा में उर्वरक का इस्तेमाल भी करते हैं. हालांकि अभी बेहद अल्प माात्रा में ही ऐसे किसान हैं, जो मिट्टी की जांच करा कर पोषक तत्वों की कमी के हिसाब से उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं. सामान्यत: किसान अनुमानित तौर पर ही उर्वरकों का उपयोग खेतों में करते है़ं किसान अभी इस बात की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं कि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण कृषि की उत्पादकता बुरी तरह से प्रभावित होती है़ कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो फसलों की अच्छी पैदावार के लिए नेत्रजन, स्फुर एवं पोटाश के अतिरिक्त अन्य पोषक तत्वों की भी जरूरत होती है, जिनमें जस्ता, तांबा, लोहा, मैग्नीज, बारान आदि शामिल हैं. इसमें जस्ता, लोहा एवं बोरान प्रमख पोषक तत्व हैं, जिनसे सीधे तौर पर फसलों की उत्पादकता प्रभावित होती है़ कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि आम तौर पर इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण पौधों में नजर आते हैं. वैसे किसान जो मिट्टी की जांच नहीं करा पाते हैं, वे इन लक्ष्णों के आधार पर भी मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का पता लगा सकते हैं. फसल में जस्ता यानि जिंक की कमी के क्या लक्षण हैं तथा इसमें क्या नुकसान हो सकता है़, प्रखंड के किसानों के लिए यह जान लेना बेहद जरूरी है कि बिहार की मिट्टी में जस्ते (जिंंक) की काफी कमी की बात सामने आयी है़ इस अहम पोषक तत्व की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार की मिट्टी में इसकी कमी 30 से 40 प्रतिशत तक की आंकी गयी है़ फसल की उत्पादकता को जिंक की कमी किस तरह से प्रभावित करती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिंक पौधों की वृद्धि में अहम भूमिका निभाता है़ धान व मक्के की फसल को भी जिंक की कमी से काफी नुकसान होता है तथा इसकी वजह से पौधे का आकार काफी छोटा हो जाता है़ कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि किसान खेतों में जिंक का प्रयोग निश्चित तौर पर करें. इसके लिए या तो जुताई के समय ही मिट्टी में जिंक मिला दें, या फिर पौधे पर उसका छिड़काव करें. मिट्टी में मिलाने के लिए 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से मिलायें तथा छिड़काव के लिए पांच किलोग्राम जिंक सल्फेट को 2़5 किलोग्राम बु़झे चूने के साथ मिला कर एक हजार लीटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिनों के अंतराल पर दो छिड़काव करें.क कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि जिंक की मिट्टी में उपलब्धता से उपज में 30 से 40 प्रतिषत तक की बढ़ातरी संभव है़