विकास को चुनौती दे रहा दरौंदा का उच्च वद्यिालय उजाय
विकास को चुनौती दे रहा दरौंदा का उच्च विद्यालय उजायविद्यालय में बोरे पर बैठ शिक्षा ग्रहण करते हैं बच्चेफोटो 18- बोरा पर बैठ शिक्षा ग्रहण करते छात्रफोटो- 20 प्रधानाध्यापक दरौंदा. प्रखंड का गौरीशंकर उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज उजाय जहां एक तरफ गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए प्रखंड व जिले ही नहीं बल्कि पूरे बिहार […]
विकास को चुनौती दे रहा दरौंदा का उच्च विद्यालय उजायविद्यालय में बोरे पर बैठ शिक्षा ग्रहण करते हैं बच्चेफोटो 18- बोरा पर बैठ शिक्षा ग्रहण करते छात्रफोटो- 20 प्रधानाध्यापक दरौंदा. प्रखंड का गौरीशंकर उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज उजाय जहां एक तरफ गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए प्रखंड व जिले ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में जाना जाता है. वहीं दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं का दंश झेल आजादी के पूर्व की याद दिला रहा है, जहां विकास बिहार के लिए पहचान बनाने के लिए कुलाचें भर रहा है, वहीं दूसरी तरफ इस विद्यालय के लिए विकास गुजरा हुआ कल बन कर रह गया है. विद्यालय में कमरों के अभाव के कारण छात्र गुरुकुल की भांति बोरा-चट्टी पर बैठ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इससे आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि इस विद्यालय में बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा कैसे मिलती होगी. विद्यालय में लगभग एक हजार छात्रों की संख्या है. विद्यालय में पुस्तकालय, प्रयोगशाला नहीं होने से बच्चों को प्रायोगिक पढ़ाई नहीं हो पाती है. विद्यालय में नौंवे व दसवें वर्ग की पढाई होती है. विद्यालय में नौंवे वर्ग में 549 बच्चे हैं, जबकि दसवें में 491 बच्चे हैं. विद्यालय में कुल 11 शिक्षक हैं, कमरे छह हैं. खेल का मैदान भी है, परंतु इसकी स्थिति जीर्णशीर्ण है. विद्यालय के परिसर में ही केंद्रीय विद्यालय भी चलता है. संसाधनों के अभाव में बच्चे पेड़ के नीचे बोरे पर बैठ शिक्षा ग्रहण करते हैं. इंटर की मान्यता मिली, लेकिन नहीं होती है पढाई. इससे विद्यालय तमाम सुविधाओं के अभाव में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. क्या कहते हैं प्रधानाध्यापककमरे के अभाव में बच्चे बोरे पर शिक्षा ग्रहण करते हैं. बच्चों को कोई आपति नहीं है, बच्चों को केवल शिक्षा से मतलब है. केंद्रीय विद्यालय को कमरे दे देने के चलते मेरे पास कमरे का अभाव है. इसलिए नवम वर्ग के बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता है तथा वर्ग दस के बच्चों को क्लास रूम में पढ़ाया जाता है. इसको लेकर विभाग को कई बार लिखित आवेदन दिया गया, लेकिन किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का ध्यान इस समस्या पर नहीं जाता है. बिंदा प्रसाद, गौरीशंकर उच्च विद्यालय ,उजाय