सरकारी उदासीनता से वीरान हुआ बिस्कोमान भवन तीन दशक पहले तक था महत्वपूर्ण केंद्रलगता था कृषकों का तांताधान क्रय केंद्र के रूप में किया जा रहा उपयोग फोटो 02 विस्कोमान भवन बड़हरियाबरहड़रिया . खेतीबाड़ी का मौसम अाते ही अनायास प्रखंड मैदान के उत्तरी छोर पर स्थित बिस्कोमान भवन की याद कृषकों को आ जाती है. हालांकि प्रखंड परिसर में सबसे ऊंची इमारत के रूप में स्थित बिस्कोमान भवन नयी पीढ़ी के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है. यह दीगर बात है कि आज इस भव्य इमारत का सदुपयोग धान क्रय केंद्र के रूप में किया जा रहा है. 80 के दशक में निर्मित इस बिस्कोमान भवन पर कृषकों का तांता लगा रहता था. किसी को गेहूं का उन्नत किस्म का बीज तो किसी को खाद, पोटाश और अन्य कृषि संबंधी चीजों जरूरत होती थी. लेकिन ये बातें तीन दशक पूर्व की हैं. किसी जमाने में प्रखंड के किसानों की आवा-जाही से गुंजायमान रहने वाला बिस्कोमान भवन आज वीरान पड़ा है. विदित हो कि कांग्रेस के शासन काल में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के प्रमुख केंद्र के रूप में विस्कोमान भवन जाना जाता था. लेकिन धीरे-धीरे सहकारिता का यह प्रमुख केंद्र इतिहास के पन्ने में दफन हो गया. मजे की बात यह है कि प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थित इस सबसे ऊंचे भवन को नयी पीढ़ी के युवा देखते हैं, तो जरूर पूछते हैं कि यह कैसी बिल्डिंग है. अलबता सरकार के सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने बिस्कोमान भवन को पुन: जीवित करने का आश्वासन देकर किसानों में फिर नयी उम्मीद जगायी है. लेकिन दु:खद तथ्य यह है कि इसके अधिकतर कर्मी निर्धनता व विवशता के बीच दुनिया छोड़ चुके हैं. बहरहाल प्रखंड मुख्यालय के प्रखंड मैदान के कोने पर खड़ा बिस्कोमान भवन आज किसानों को मुंह चिढ़ा रहा है.
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सरकारी उदासीनता से वीरान हुआ बस्किोमान भवन
सरकारी उदासीनता से वीरान हुआ बिस्कोमान भवन तीन दशक पहले तक था महत्वपूर्ण केंद्रलगता था कृषकों का तांताधान क्रय केंद्र के रूप में किया जा रहा उपयोग फोटो 02 विस्कोमान भवन बड़हरियाबरहड़रिया . खेतीबाड़ी का मौसम अाते ही अनायास प्रखंड मैदान के उत्तरी छोर पर स्थित बिस्कोमान भवन की याद कृषकों को आ जाती है. […]
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