शोभा की वस्तु बनी दरौंदा की जलमीनार
शोभा की वस्तु बनी दरौंदा की जलमीनार उद्घाटन के बाद से एक बूंद भी नहीं टपका नल का पानीशुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं दरौंदावासीफोटो. 27 दरौंदा का जलमीनार दरौंदा . सरकार की कल्याणकारी पेयजल योजना हाथी का दांत साबित हो रही है. इसके प्रचार-प्रसार के नाम पर लाखों रुपये लुटाये जा रहे हैं. […]
शोभा की वस्तु बनी दरौंदा की जलमीनार उद्घाटन के बाद से एक बूंद भी नहीं टपका नल का पानीशुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं दरौंदावासीफोटो. 27 दरौंदा का जलमीनार दरौंदा . सरकार की कल्याणकारी पेयजल योजना हाथी का दांत साबित हो रही है. इसके प्रचार-प्रसार के नाम पर लाखों रुपये लुटाये जा रहे हैं. बावजूद गरीबों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पाता. इसका जीता जागता उदाहरण है दरौंदा प्रखंड मुख्यालय के परिसर में 79.84 लाख की लागत से बनायी गयी जलमीनार. 30 अक्तूबर, 2009 को लोक स्वास्थ्य अभियंता विभाग के मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इसका उद्घाटन किया था. फलस्वरूप आनन-फानन में विभाग ने इसे किसी तरह एक दिन के लिए चलवा दिया, जिसका पानी आसपास के नलकों में सिमट कर रह गया. मंत्री के जाने के बाद से अभी तक वह भी बंद पड़ी है. ज्ञात हो कि विभाग के द्वारा स्वीकृत नाबार्ड संपोषित ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना से बने इस जलमीनार पर 79.84 की लागत आयी है, जो अभी तक शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. 50 हजार गैलन की क्षमता वाली इस जलमीनार से यहां के लोगों को 50 लीटर भी पानी भी नसीब नहीं हो सका. क्या कहती हैं विधायकसबको स्वस्थ पेयजल कराना उपलब्ध कराना नीतीश सरकार की प्राथमिकता है. दरौंदा जलमीनार की समस्या को दूर करने के लिए संबंधित विभाग के वरीय अधिकारियों से बात करूंगी. जरूरत पड़ी, तो विधानसभा में भी उठाऊंगी.कविता सिंह, जदयू विधायक, दरौंदागेहूं की श्रीविधि खेती पर किसानों को अनुदान नहींधांधली की शिकायत के बाद विभाग ने बंद की योजनादरौंदा. गेहूं की श्री विधि से खेती करने वालों के लिए बुरी खबर है. श्री विधि से गेहूं की बोआई करनेवाले किसानों को अब सरकारी अनुदान नहीं मिल पायेगा. श्री विधि की खेती के नाम पर धांधली की शिकायतों के बाद सरकार ने इस योजना को ही बंद करने का फैसला लिया है. वहीं किसानों का कहना है कि कृषि विभाग को इस योजना को बंद नहीं करना चाहिए, बल्कि इसके नाम पर हो रही धांधली पर अंकुश लगाना चाहिए. बताया जाता है कि श्री विधि से गेहूं की बोआई के लिए एक गांव से दो या तीन किसानों का चयन किया जाता था. सहमति देने वाले किसानों को कृषि विभाग एक एकड़ खेती करने के लिए अनुदान देता था. चयनित किसानों को उनके बैंक खाते में 16 सौ रुपये भेजे जाते थे. सूत्र बताते हैं कि सरकार को सूचना मिली कि इस योजना में बंदरबाट की जा रही है. एक-दो किसानों को छोड़ दें, तो अधिकतर किसान कृषि विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर एक या दो कट्ठे में श्री विधि से खेती कर कोरम पूरा करते थे. इसके बाद सरकार ने इस योजना को बंद करने का फैसला लिया है. क्या है श्री विधि : श्री विधि खेती आधुनिक खेती का एक तरीका है. यह विधि पूर्णत: वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है. कृषि वैज्ञानिक कम लागत पर अधिक उपज प्राप्त करने के उद्देश्य से किसानों को इस विधि से खेती करने की सलाह देते हैं. इसमें फसल की बोआई समान अंतराल और एक सीधी लाइन में की जाती है. पौधे से पौधों की दूरी समान रहती है. इस विधि से गेहूं की खेती करने वाले किसानों को एक एकड़ में गेहूं की खेती करने के लिए 70 से 80 किलो बीज की जरूरत पड़ती है. वहीं पटवन और निकौनी करने में आसानी रहती है और पैदावार भी सामान्य की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा रहती है.नवलपुर गांव में बनेगी पक्की सडकसिसवन. प्रखंड के नवलपुर गांव में दो किमी लंबी सड़क बनायी जायेगी. मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत इस सड़क का निर्माण कराया जायेगा. यह बातें विधायक कविता सिंह ने बतायीं. उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालय सोनबरसा से गोस्वामी टोला होते हुए हरिजन टोली होकर चार मुहानी तक सड़क बन जाने से नवलपुर के ग्रामीणों की आवागमन की सुविधा बढ़ जायेगी. विधायक ने बताया इस सड़क के निर्माण के लिए स्थानीय मुखिया नीलम सिंह कई बार मांग कर चुकी हैं.