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बंगाल के फूलों से महक रहे मंडप

शहनाई की गूंज के बीच सजे मंडप हों या दूल्हे का सेहरा. हर जगह गेंदा, रजनीगंधा व गुलाब अपनी महक से वातावरण को सुगंधित कर रहे हैं.फूलों की यह महक सर्वाधिक बंगाली फुलवारियों की है. कोलकता की थोक मंडी से हर दिन जिले के बाजारों में बड़ी मात्रा में फूलों की टोकरियां उतरती हैं, जिसका […]

शहनाई की गूंज के बीच सजे मंडप हों या दूल्हे का सेहरा. हर जगह गेंदा, रजनीगंधा व गुलाब अपनी महक से वातावरण को सुगंधित कर रहे हैं.फूलों की यह महक सर्वाधिक बंगाली फुलवारियों की है. कोलकता की थोक मंडी से हर दिन जिले के बाजारों में बड़ी मात्रा में फूलों की टोकरियां उतरती हैं, जिसका बाजार तेजी से बढ़ता जा रहा है.
सीवान : विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्यक्रम हो या अनुष्ठान, हर अवसर को यादगार बनाने में सजावट पर लोगों का विशेष जोर होता है. डेकोरेशन के नायाब तरीकों को हर समय इजाद करने की कोशिश के बीच फूूलों से सजावट की परंपरा बढ़ती जा रही है.
इससे फूलों के कारोबार को भी बाजार ने हाल के वर्ष में तेजी से विस्तार दिया है. सामान्य दिनों में फूल की माला के साथ ही बुके की खपत रहती है.लग्न के दिनों में सर्वाधिक फूल वर माला, मंडप की सजावट, तिलकोत्सव, बहूभोज, दूल्हा के वाहन की सजावट समेत अन्य रस्मों के दौरान अनुष्ठान स्थल से फूलों की हल्की-हल्की महक दूर तक एहसास कराती है.
प्रत्येक दिन 120 टोकरियां उतरते हैं फूल : शहर के अलावा महाराजगंज, मैरवा, बसंतपुर, आंदर, हसनपुरा, जामो, बड़हरिया, दरौली, पचरूखी समेत अन्य स्थानों पर भी फूलों की मंडी सुबह होते ही सज जाती है, जहां हर दिन लग्न के दौरान फूलों की 100 से 120 बड़ी टोकरियां उतरती हैं, जिसमें सबसे अधिक गेंदा के फूल रहते हैं.
इसके अलावा बाजार की मांग के अनुसार कारोबारी रजनीगंधा, गुलाब, ग्लाइड के अलावा एलिका पत्ता, एस्पायरा ग्रास पत्ता, घोड़ा पत्ता, बॉटम ब्राश पत्ता भी सजावट के लिए मंगाते हैं. लग्न के अलावा अन्य अवसरों पर भी कमोबेश इनकी मांग रहती है. मालूम हो कि एक टोकरी में करीब 70 से 80 किलो फूल होते हैं
कोलकाता की मंडी के फूलों की है सर्वाधिक मांग : रेल मार्ग से हर दिन सबसे अधिक कोलकता की थोक मंडी से यहां फूल उतरते हैं.कारोबारियों के मुताबिक मांग के अनुसार सारण के दिघवारा व पटना, दानापुर से भी फूल मंगाये जाते हैं. यूपी के वाराणसी से भी फूल मंगाये जाते थे.
लेकिन सुगम सड़क या रेल मार्ग न होने से वाराणसी के बजाय दूरी के बावजूद कोलकाता से फूल मंगाना आसान होता है. इसके अलावा क्वालिटी के मामले में भी कोलकता के फूलों की सर्वाधिक मांग है.
एक वर्ष में दोगुना हुआ कारोबार : फूलों की लगातार बढ़ती खपत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष में इसकी मांग दोगुनी हो गयी है. लग्न के अलावा विधानसभा चुनाव के दौरान भी फूलों की बाजार में मांग रही.
गेंदा फूल की माला नौ से 12 रुपये, प्रति गुलाब तीन से चार रुपये, ग्लाइड पांच रुपये पीस, रजनीगंधा तीन से वार रुपये पीस, वरमाला चार सौ से पांच सौ रुपये पीस, एलिका पत्ता पांच रुपये पीस, एस्पायरा ग्रास पत्ता सात सौ रुपये किलो, घोड़ा पत्ता 40 रुपये बंडल, बॉटम ब्राश पत्ता तीन सौ रुपये किलो की दर से मिल रहे हैं.
जबकि एक वर्ष पूर्व तक बाजार में इसकी कीमत 50 से 40 फीसदी कम थी. शहर के जेपी चौक के समीप मौजूद फूल मंडी के कारोबारी महेश प्रसाद मल्होत्रा ने कहा कि फूल का बाजार तेजी से बढ़़ा है, लेकिन अधिक आवक की स्थिति में नुकसान भी उठाना पड़ता है. फिर भी लोगों का झुकाव फूलों की सजावट की तरफ बढ़ने से कारोबारियों की गलियां भी अब महकने लगी हैं.

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