(संडे खास) सलमा के जुनून को सब करते हैं सलाम

बड़हरिया : प्रखंड के बरहनी गांव की सलमा खातून को बीते गुरुवार को विश्व विकलांगता दिवस पर जब चित्रकला में प्रथम स्थान मिला,तो पहली बार वह राज्य स्तर पर चर्चा में आयी. उम्र में बेहद छोटी और शारीरिक रूप से असमर्थ बच्ची की अपनी खुद की पहचान बनाने के पीछे संघर्ष की बड़ी गाथा को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 5, 2015 6:45 PM

बड़हरिया : प्रखंड के बरहनी गांव की सलमा खातून को बीते गुरुवार को विश्व विकलांगता दिवस पर जब चित्रकला में प्रथम स्थान मिला,तो पहली बार वह राज्य स्तर पर चर्चा में आयी. उम्र में बेहद छोटी और शारीरिक रूप से असमर्थ बच्ची की अपनी खुद की पहचान बनाने के पीछे संघर्ष की बड़ी गाथा को सुन लोगों की आंखें नम हो जातीं हैं.

बरहनी निवासी मुमताज अहमद की बेटी सलमा खातून जन्म से ही दोनों पैरों से विकलांग है.सलमा अपने गांव से तीन किलोमीटर दूर मध्य विद्यालय प्रेमहाता में कक्षा आठ की छात्रा है.हर दिन पैदल ही सलमा अपने स्कूल जाती है.हालांकि एक वर्ष पूर्व ही उसे शासन द्वारा ट्राइसाइकिल मुहैया कराया गया.लेकिन उसके खराब हो जाने के बाद अब मजबूरी में दोनों पैरों को घसीटते हुए ही विद्यालय आना जाना पड़ता है.

सलमा के विकलांगता के दंश को हर दिन झेलने का सवाल करते ही उसकी आंखे भर्रा जाती है.बकौल सलमा जब एक वर्ष की थी तो मां जुबैदा खातून का इंतकाल हो गया.इसके बाद पिता मुमताज का प्यार भी नहीं मिला.पिता ने उसके विकलांगता को अपना अपमान मान कर उसे ठुकरा दिया.रोते हुए सलमा कहती है कि एक दो दिन तक लोगों के घरों से भीख मांग कर गुजारा करती रही.फिर चाचा इस्तिखार अली ने अपनाया.अब चाचा ही उसके परवरिश कर रहे हैं.

बिना किसी प्रशिक्षण के सलमा में पेंटिंग के प्रति जो लगन व उत्साह दिखता है,वह काबिले तारीफ है.हालांकि निर्धनता व दुश्वारियां उसके कोशिश में अवरोध अवश्य पैदा कर रहे हैं.फिर भी अपनी कोशिशों को जारी रखने से ही कामयाबी मिलने की समझ ने उसे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है.सलमा कहती है कि पढ़ाई कर उंची मुकाम हासिल करना चाहती हूं.उसके लक्ष्य के सवाल पर वह कुछ नहीं कह पाती है.

हालांकि यह बातें सुन उसकी चमक उठती आंखों में कुछ खास कर गुजरने की बेचैनी साफ दिखती है.सलमा कहती है कि पढ़ाई के साथ ही घर व खेतों में भी हर दिन काम करती हूं.पेंटिंग में और अधिक हुनरमंद होने के लिए उसकी इच्छा एक गुरु की है.जिसके मार्गदर्शन में आगे और बेहतर कर सके. लोगों का कहना है कि सलमा को अगर सरकारी मदद मिले तो उसके उड़ान को और पंख लग जायेंगे.

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