पांच सौ बेड के अस्पताल नर्मिाण पर लगा ग्रहण

पांच सौ बेड के अस्पताल निर्माण पर लगा ग्रहण दलित परिवारों ने करोड़ों की अस्पताल की भूमि पर मकान बनायाकब्जा किये जाने के समय पूर्व के अधिकरियों ने नहीं की निरोधात्मक कार्रवाईसदर अस्पताल परिसर में भी वर्षों से अवैध तरीके से बने हैं मकान फोटो:- 13 -दलित परिवारों द्वारा जबरन कब्जा की गयी सदर अस्पताल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2015 6:33 PM

पांच सौ बेड के अस्पताल निर्माण पर लगा ग्रहण दलित परिवारों ने करोड़ों की अस्पताल की भूमि पर मकान बनायाकब्जा किये जाने के समय पूर्व के अधिकरियों ने नहीं की निरोधात्मक कार्रवाईसदर अस्पताल परिसर में भी वर्षों से अवैध तरीके से बने हैं मकान फोटो:- 13 -दलित परिवारों द्वारा जबरन कब्जा की गयी सदर अस्पताल की कीमती जमीन.सीवान . सदर अस्पताल के प्रस्तावित पांच सौ बेड के अस्पताल निर्माण पर पूरी तरह से ग्रहण लग चुका है. सदर अस्पताल के ठीक सामने महिला डॉक्टर के आवास के पीछे जिस हिस्से में अस्पताल के लिए भवन निर्माण होना था, उस जमीन पर इधर चार-पांच सालों से दलित परिवारों ने अवैध तरीके से मकान बना कर कब्जा जमा लिया है.अस्पताल भवन के लिए प्रस्तावित जमीन के करीब आधे हिस्से पर दलित परिवार के लोगों ने अपना पक्का मकान बना लिया है तथा स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक इस पर आपत्ति तक दर्ज नहीं करायी जा सकी है. पिछले साल दलित परिवारों ने अपने हक को पक्का करने के लिए एक महापुरुष की आदमकद प्रतिमा भी लगा दी. इस प्रतिमा का अनावरण बिहार सरकार के एक पूर्व मंत्री करनेवाले थे, लेकिन विवाद समाचार पत्रों में आ जाने के बाद वे अनावरण करने नहीं आये, तो दलित परिवार के लोगों ने स्वयं प्रतिमा का अनावरण कर दिया. पहले तो देखने से ऐसे लगा कि ये लोग अस्पताल की भूमि के कुछ हिस्से पर ही कब्जा किया है, लेकिन विभाग द्वारा कोई विरोध नहीं होने पर प्रतिदिन ये अस्पताल की भूमि पर अपना कब्जा बढ़ाते जा रहे हैं. बताया जाता है कि शहर के कुछ भू-माफियाओं की नजर अस्पताल की इस बेसकीमती करोड़ों की जमीन पर है.वे दलित परिवारों को आगे रख कर जमीन पर कब्जा जमाना चाहते हैं. सदर अस्पताल के पांच सौ बेड का बनने वाला अस्पताल जमीन विवाद के कारण ही नहीं बन पा रहा है. सदर अस्पताल के पास जमीन तो काफी थी, लेकिन डीएचएस का भवन बन जाने के बाद अब जमीन नहीं है. कुछ दलित परिवार सदर अस्पताल के अंदर परिसर में भी वर्षों से अवैध तरीके से मकान बना कर रह रहे हैं. विभाग द्वारा सदर अस्पताल परिसर को कब्जे से मुक्त करने का प्रयास कभी नहीं किया गया. क्या कहते हैं अधिकारी सदर अस्पताल की जमीन के कब्जे की बात विभाग की नजर में है.विभाग ने इस संबंध में जिलाधिकारी को जानकारी दे दी है. जिलाधिकारी को निरीक्षण के दौरान वस्तु स्थिति को दिखा दिया गया है. जिला प्रशासन ही अस्पताल की जमीन को कब्जे से मुक्त करा सकता है.डॉ शिवचंद्र झा, सिविल सर्जन छह माह से बंद है सदर अस्पताल का शिशु रोग ओपीडीसीवान. सदर अस्पताल का शिशु रोग ओपीडी करीब छह माह से बंद होने से लोगों को अपने बच्चों को इलाज कराने में परेशानी हो रही है. विभाग ने एसएनसीयू के लिए दो बाल रोग विशेषज्ञ सहित तीन डॉक्टरों को सदर अस्पताल में पदस्थापित किया है, लेकिन न तो एसएनसीयू ठीक से चलता है और न बाल रोग का ओपीडी. ग्रामीण क्षेत्रों से महिलाएं अपने बच्चों को दिखाने के लिए सदर अस्पताल आती हैं, लेकिन यहां ओपीडी बंद देख अपने बच्चों का इलाज कराने के लिए प्राइवेट में चली जाती हैं .एसएनसीयू के लिए जो दो बाल रोग विशेषज्ञ सदर अस्पताल में पदास्थापित हैं, उनसे पुरुष इमरजेंसी व सामान्य ओपीडी में ड्यूटी दी जाती है. सदर अस्पताल में शिशु रोग की ओपीडी करीब छह माह से बंद है. विभाग के अधिकारियों को शिशु रोग के ओपीडी को पुन: चालू करने के प्रति रुचि नहीं दिखायी देती है. वैसे आर्थोपेडिक्स में भी दो डॉक्टर हैं, लेकिन दो दिन ओपीडी चलता है. उसी तरह शिशु रोग का ओपीडी सप्ताह में करीब दो दिन चलना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version