वीएम मध्य वद्यिालय का जर्जर भवन हादसे को दे रहा दावत

वीएम मध्य विद्यालय का जर्जर भवन हादसे को दे रहा दावत 1137 बच्चे नामांकि त है विद्यालय मेंजर्जर भवन में प्रतिदिन 200 से अधिक बच्चे बैठ करते हैं पढ़ाईकार्यपालक अभियंता के रिक्त पद होने से विभाग हुआ अपंग1983-84 में विद्यालय के पूर्व स्थित भवन का हुआ था निर्माण फोटो: 06 वीएम मध्य विद्यालय का जर्जर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2015 6:25 PM

वीएम मध्य विद्यालय का जर्जर भवन हादसे को दे रहा दावत 1137 बच्चे नामांकि त है विद्यालय मेंजर्जर भवन में प्रतिदिन 200 से अधिक बच्चे बैठ करते हैं पढ़ाईकार्यपालक अभियंता के रिक्त पद होने से विभाग हुआ अपंग1983-84 में विद्यालय के पूर्व स्थित भवन का हुआ था निर्माण फोटो: 06 वीएम मध्य विद्यालय का जर्जर भवन.सीवान . शहर के बीचोबीच स्थित आदर्श राजकीय वीएम मध्य विद्यालय का जर्जर भवन हादसे को दावत दे रहा है. इस विद्यालय में कुल नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या 11 सौ से अधिक है. हम विद्यालय के जिला भवन की चर्चा कर रहे हैं. उसका निर्माण वर्ष 1983 में हुआ था. विद्यालय परिसर के पूर्वी छोर स्थित इस भवन में प्रतिदिन 200 के करीब नौनिहाल बैठ कर पठन-पाठन करते हैं, जबकि भवन की स्थित यह है कि अक्सर प्रतिदिन छत या फिर बीम का हिस्सा टूट कर गिरता रहता है. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि सर्व शिक्षा अभियान के टेक्निकल स्टॉफ द्वारा इस भवन को पहले ही परितयक्त घोषित कर दिया गया है. बावजूद इसके कमरे व भवन के अभाव में विद्यालय प्रशासन को मजबूरी वश इसमें छात्रों को बैठा कर पढ़ना पड़ता है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक फणिंद्र मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी सहित सर्व शिक्षा अभियान को कई बार पत्र दिया गया, लेकिन मामले में काेई कार्रवाई नहीं हो सकी है. श्री श्रीवास्तव ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के इंजीनियर द्वारा अक्सर यह कह कर पल्ला झाड़ दिया जाता है कि जिले में विभाग के कार्यपालक अभियंता के नहीं होने और उनके बिना स्वीकृति के भवन को नहीं तोड़ा जा सकता. इधर, मामले में विभाग के एक टेक्निकल सुपरवाइजर ने बताया कि भवन में बच्चों को पढ़ाना खतरे से खाली नहीं है. भवन के जर्जर होने का अंदेशा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी उपरी मंजिल को छात्र-छात्राओं के लिए पूर्णत: बंद कर दिया गया है. सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ राज कुमार ने कहा कि भवन को विभाग के इंजीनियर से जल्द ही जांंच करायी जायेगी. रिपोर्ट के आधार पर नये भवन निर्माण के लिए आगे कदम उठाया जायेगा. उन्होंने बताया कि भवन तोड़ने की जरूरत पड़ी, तो पटना स्थित विभाग के कार्यपालक अभियंता से स्वीकृति ली जायेगी.

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