छपरा से पटना के बीच चलेंगी चार जोड़ी पैसेंजर ट्रेनें
सजाये गये गिरजाघर क्रिसमस डे आज हसनपुरा/सीवान : आज क्रिसमस डे है. इसको लेकर गिरजा घर सज-धज कर तैयार हैं. नगर की नयी बस्ती महादेवा स्थित यूनियन चर्च, छोटपुर के कैथोलिक चर्च व हरदिया मोड़ के इमानुएल चर्च में शुक्रवार को क्रिसमस डे धूमधाम से मनाया जायेगा. जिंगल वेल की धुन के साथ देर शाम […]
सजाये गये गिरजाघर क्रिसमस डे आज
हसनपुरा/सीवान : आज क्रिसमस डे है. इसको लेकर गिरजा घर सज-धज कर तैयार हैं. नगर की नयी बस्ती महादेवा स्थित यूनियन चर्च, छोटपुर के कैथोलिक चर्च व हरदिया मोड़ के इमानुएल चर्च में शुक्रवार को क्रिसमस डे धूमधाम से मनाया जायेगा. जिंगल वेल की धुन के साथ देर शाम तक केरौल गाते हुए इसाई समुदाय के लोग शहर के विभिन्न इलाके से गुजरे.
महादेवा के यूनियन चर्च के फादर पास्टर मनी ने बताया कि सुबह 10 बजे से कार्यक्रम शुरू होंगे. इस दौरान बाइबिल में ईसा मसीह के दिये गये संदेशों पर केंद्रित कार्यक्रम बच्चे प्रस्तुत करेंगे.
कौन हैं दाढ़ी वाले शांता क्लॉज: क्रिस क्रिंगल फादर क्रिसमस और संत निकोलस के नाम से जाना जानेवाला शांता क्लॉज एक रहस्यमय और जादूगर इनसान है, जिसके पास अच्छे और सच्चे बच्चों के लिये ढेर सारे गिफ्ट्स है़ं इंगलैड में ये फादर क्रिसमस के नाम से जाने जाते है़ं क्रिसमस डे इसाइयों का पवित्र पर्व है, जिसे बड़ा दिन भी कहते है़ं
चर्चों में को सजाया जाता है़ क्रिसमस डे के मौके पर क्रिसमस वृक्ष का विशेष महत्व है़ सदाबहार क्रिसमस वृक्ष, डगलस बालसम या फिर क्रिसमस का पौधा होता है, जिसकी सजावट की जाती है़ अनुमानत: इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिश्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी़ यूरोप वासी भी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे़
ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं व पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे़ उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्मा दूर रहती है़ आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत पश्चिमी जर्मनी में हुई़ सेंटा क्लॉज की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की़
अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है क्रिसमस डे : हमारे यहां दिवाली और दशहरा जैसे त्योहारों की तरह तैयारियां पहले से ही शुरू हो जाती है़ं उसी तरह इगलैंड में क्रिसमस की तैयारियां लगभग एक माह पहले से ही यानी नवंबर के अंत में शुरू हो जाती है़ं इस तैयारी में बच्चे भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.
24 दिसंबर की रात को वे पलंग के नीचे अपना मोजा अथवा तकिये का गिलाफ रख देते है़, ताकि फॉदर क्रिसमस आधी रात को आकर उन्हें विभिन्न उपहारों से भर दे़ं जब वे जगते हैं तो उन्हें अपने पैर के अंगुठे के पास सेब और एड़ी के पास संतरा रखा हुआ मिलता है़
घोड़े पर सवार होकर आते हैं सांता : हालैंड में शांता घोड़े पर सवार होकर उपहार देने आते है़ं रात को सोने से पहले बच्चे जूतों में सांता क्लॉज के घोड़े के लिए चारा तथा शक्कर भर कर घरों के बाहर रख देते है़ं सुबह उनके जूतों में घास तथा शक्कर के स्थान पर चाकलेट एवं मेवे भरे होते है़ं बेल्जियम में तो शां क्लॉज दो बार लोगों के घर जाते है़ं पहले चार दिसंबर को बच्चों का व्यवहार देखने और फिर क्रिसमस पर उपहार देने़
सात जनवरी को मनाते हैं क्रिसमस : रूस और यूक्रेन में क्रिसमस अन्य देशों की तरह 25 दिसंबर को नहीं बल्कि सात जनवरी को मनाया जाता है़ इन दोनों देशों में त्योहारों का आयोजन जुलियन कैलेंडर के अनुसार किया जाता है़ इसी कारण यहां सात जनवरी को क्रिसमस डे मनाया जाता है़ इस दिन यहां रूस की विशेष प्रार्थना की जाती है और लोग उपवास भी रखते है़ं
इस मौके पर ढूढ़ते हैं जीवन साथी : जापान के लोगों के लिये यह दिन अलग ही महत्व रखता है. वहां के लोग इस दिन अपने साथी की तलाश भी करते है़ं और उन्हें कोई-न-कोई साथी मिल ही जाता है़ यानी वे दोस्त से पति-पत्नि बन जाते है़ं