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कामना ही क्रोध की जननी : प्रज्ञा जी महाराज

कामना ही क्रोध की जननी : प्रज्ञा जी महाराजसीवान. मानस मंदाकिनी समिति और भगवान श्रीकृष्ण परिवार के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे सात दिवसीय गीता ज्ञान सत्संग के तीसरे दिन अंतरराष्ट्रीय गीता प्रचारक व प्रवचनकर्ता स्वामी श्री प्रज्ञानंद जी महाराज डीएवी कॉलेज के पश्चिम कृष्णा धाम में प्रवचन के दौरान कहा कि कामना ही कोध […]

कामना ही क्रोध की जननी : प्रज्ञा जी महाराजसीवान. मानस मंदाकिनी समिति और भगवान श्रीकृष्ण परिवार के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे सात दिवसीय गीता ज्ञान सत्संग के तीसरे दिन अंतरराष्ट्रीय गीता प्रचारक व प्रवचनकर्ता स्वामी श्री प्रज्ञानंद जी महाराज डीएवी कॉलेज के पश्चिम कृष्णा धाम में प्रवचन के दौरान कहा कि कामना ही कोध को जन्म देती है. व्यक्ति जब विषयों का चिंतन करता है, तब उसकी इच्छा उत्पन्न हो जाती है और व्यक्ति उसे पाने के लिए पहुंचता है, तब क्रोध का जन्म होता है और क्रोध का जन्म होते ही व्यक्ति का विनाश हो जाता है. व्यक्ति सफलता चाहता है तो वह अपनी पूरी सामर्थ्य शक्ति को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में जी जान से लग जाये, तो ईश्वर उसकी संपूर्ण इच्छा को पूरा कर देते हैं.मौके पर समिति के अध्यक्ष पं गोवर्धन शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष अधिवक्ता इष्टदेव तिवारी, मोहन शर्मा, ललन मिश्र, ब्रह्मानंद सिंह, शंकर प्रसाद, डॉ राजा प्रसाद, लक्ष्मण प्रसाद, चंद्रशेखर प्रसाद, शंभु दत शुक्ला, विश्वकर्मा सोनी, सुशील झुनझुनवाला, श्यामजी सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

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