मकर संक्रांति को ले बाजारों में बढ़ी रौनक
मानव व प्रकृति में समन्वय स्थापित करने का महापर्व मकर संक्रांति है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसकों हिंदू सभ्यता में अति शुभ माना गया है. जिस राशि पर सूर्य देव स्थिर होकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो संक्रांति होती है. इस वर्ष मकर संक्रांति 15 […]
मानव व प्रकृति में समन्वय स्थापित करने का महापर्व मकर संक्रांति है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसकों हिंदू सभ्यता में अति शुभ माना गया है. जिस राशि पर सूर्य देव स्थिर होकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो संक्रांति होती है. इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन शुक्रवार को पड़ रही है.
ऐसा इसलिए होता है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए 70 से 90 साल में 72 डिग्री से 90 डिग्री तक पीछे रह जाती है, जिससे सूर्य एक दिन देर से मकर राशि में प्रवेश करता है. हिंदू पंचांग में अन्य त्योहार की काल गणना व तिथि चंद्र कलाओं द्वारा निर्धारित होती है. मकर संक्रांति ही ऐसा पर्व है, जिसका निर्धारण सूर्य की गति पर होता है.
हिंदू पंचांग में अन्य त्योहार की काल गणना व तिथि चंद्र कलाओं द्वारा निर्धारित होती है
तिलकुट की सुगंध से वातावरण हुआ सुबासित
सीवान : मकर संक्रांति के पर्व का इंतजार बूढ़े से लेकर बच्चे तक बेसब्री से करते हैं. आखिर करें क्यों नहीं, मूल रूप से यह पर्व खाने-पीने का पर्व है. इस दिन का इंतजार बच्चे लाई खाने व पतंग उड़ाने के लिए करते हैं,
वहीं कारोबारी अपने कारोबार के लिए इसका इंतजार करते हैं. इस पर्व को लेकर बाजारों में रौनक बढ़ गयी है. हर तरफ तिलकुट की सुगंध से वातावरण सुबासित हो उठा है. वहीं इस दिन से विभिन्न प्रकार के मांगलिक कार्यों के अनुष्ठान के मुहुर्त का शुभारंभ होता है. ऐसी मान्यता है कि संक्रांति के दिन दान, पुण्य व स्नान करने से हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
पर्व को लेकर सजीं दुकानें : मकर संक्रांति पर लोग तिलकुट, तिल के लड्डु व रेवड़ी आदि पकवान पसंद करते हैं. दुकानों में तिलकुट व अन्य पकवान तैयार भी होने लगे हैं. शहर स्थित तिलकुट व चूड़ा की दुकानों पर अभी से भीड़ लगनी शुरू हो गयी है. कई लोग संदेश के रूप में तिलकुट व लाई भेजते हैं. इसकी खरीदारी पूर्व में ही कर लेते हैं. इसको लेकर बाजारों में रौनक आ गयी है. वहीं सर्दी में तिलकुट खाना स्वास्थ्यप्रद होता है.
सामान बाजार भाव (प्रति किलो)
तिलकुट 160-320
चूड़ा 30 से शुरू
गुड़ 40
तिल 80-100
दही 80-120
उड़द दाल 140-160
लाई 60-70
दही की खपत को लेकर बाजार तैयार : मकर संक्रांति के अवसर पर दही व चूड़ा का अपना महत्व होता है. दही की खपत को लेकर बाजार तैयार हो चुका है. दही की कमी पर्व मनाने में बाधा उत्पन्न न करे, इसके लिए उपभोक्ता से लेकर विक्रेता तक तैयारी में लग गये हैं. शहरी क्षेत्रों में घूम कर दही बेचने वाले शिवटहल यादव का कहना है कि प्रति दिन 20 से 25 किलो दही की खपत हो जाती है. मकर संक्रांति को लेकर उपभोक्तओं द्वारा बड़े पैमाने पर दही की मांग की जा रही है. इसको देखते हुए हमने 50 किलो दही की व्यवस्था की है. पर्व के दिन दही उपलब्ध कराने के लिए उपभोक्ताओं द्वारा आर्डर दिये जा रहे हैं.
खपत काे देखते हुए सजी सब्जी की दुकानें : दही चूड़ा खाने के बाद लोग ताजगी लाने के लिए सब्जी का भी प्रयोग करते हैं. इसको देखते हुए सब्जी विक्रेता अपनी दुकानें सजाने में लगे है. आलू, गोभी, मटर व टमाटर आदि सब्जी की बिक्री को देखते हुए. दुकानदार अभी से ही स्टॉक इकट्ठा करने में जुटे हैं.
सब्जी भाव (प्रति किलो)
आलू 12-14
गोभी 18-20
बैगन 20-30
मटर 50-60
टमाटर 40-50
अदरक 80-110
क्या है मकर संक्रांति का महत्व : धर्म शास्त्रों में मकर संक्रांति का महत्व बतलाया गया है. इस दिन स्नान व दान देने से पूर्ण की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा ने राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष्य देने के लिए भगिरथ के अथक प्रयास से कपिल मुनि के आश्रम में पदार्पण किया था. वहीं एक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों का वध किया था. यह दिन बुराइयों व नकारात्मक्ता को खत्म करने का दिन है. महाभारत में यह वर्णित है कि भीष्म पितामह ने मोक्ष्य प्राप्ति के लिए इस दिन अपने प्राणों का त्याग किया था.
पूर्ण काल का समय : पंडित उपेंद्र दत मिश्र के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का पूर्ण काल 14 जनवरी की रात 1.26 बजे से आरंभ हो रहा है, जो 15 जनवरी को सायं 5.16 बजे तक रहेगा. चूंकि हमारे यहां सूर्य जिस तिथि को उदय होता है वही तिथि मानी जाती है. इस तरह मकर संक्रांति का पूर्ण काल शुक्रवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा. संक्रांति में पूर्ण काल का महत्व छह घंटे पूर्व से 16 घंटे बाद तक रहता है.
मई व जून में नहीं गूजेंगी शहनाई
इस वर्ष अप्रैल माह के अंतिम दिन से लेकर जून के आखिरी तक शुक्र के अस्त होने के कारण मई व जून माह में शहनाइयों की गूंज नहीं सुनाई देगी. इस बार पिछले वर्ष की तुलना में शादी का लगन बहुत ही कम हैं. पिछले वर्ष जहां 112 विवाह की लगन थीं. वही इस बार मात्र 70 विवाह की लगन हैं. मार्च तक के विवाह लगन पर नजर दौड़ायें, तो सबसे अधिक शादी का मुहूर्त फरवरी माह में है, जबकि मार्च माह में मात्र सात लगन हैं. 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक एक माह खरमास होने के कारण शहनाई नहीं गूजेंगी. जबकि अन्य कार्य हो सकते हैं. वहीं जनवरी माह में विवाह की मात्र 10 लगन हैं.
एक नजर विवाह मुहुर्त पर
जनवरी- 16,19, 20, 21, 25, 26, 27, 28, 29, 31.
फरवरी-11,12, 13, 16, 17, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29.
मार्च-1, 2, 3, 4, 5, 10, 11.
14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक खरमास.
अप्रैल- 16, 17, 18, 19, 20, 22, 23, 24, 25, 26, 28, 29.
जुलाई- 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13.
नवंबर- 17, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 30.
दिसंबर- 2, 3, 4, 8, 9, 12, 13, 14.