श्रद्धा से ही मिलता है ज्ञान : प्रज्ञा नंद

श्रद्धा से ही मिलता है ज्ञान : प्रज्ञा नंद फोटो 08 प्रवचन करते प्रज्ञा नंद महाराज.सीवान. भगवान श्रीकृष्ण परिवार व मानस मंदाकिनी समिति के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे सात दिवसीय गीता ज्ञान सत्संग के छठे दिन प्रवचन करते हुए प्रज्ञा नंद जी महाराज ने कहा कि श्रद्धावान व्यक्ति को ही ज्ञान प्राप्त होता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2016 6:26 PM

श्रद्धा से ही मिलता है ज्ञान : प्रज्ञा नंद फोटो 08 प्रवचन करते प्रज्ञा नंद महाराज.सीवान. भगवान श्रीकृष्ण परिवार व मानस मंदाकिनी समिति के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे सात दिवसीय गीता ज्ञान सत्संग के छठे दिन प्रवचन करते हुए प्रज्ञा नंद जी महाराज ने कहा कि श्रद्धावान व्यक्ति को ही ज्ञान प्राप्त होता है. विवेकहीन और श्रद्धा रहित संशययुक्त मनुष्य परमार्थ से अवश्य भ्रष्ट हो जाता है. ऐसे संशययुक्त मनुष्य के लिए न यह लोक न परलोक है और न ही सुख है. स्वामी जी ने कहा कि स्वयं से ही स्वयं का उद्धार होता है. न कोई मित्र है और न ही कोई शत्रु. हम जैसा व्यवहार करते हैं, जिस तरह के लोगों के बीच रहना चाहते हैं, वहीं दुनिया बन जाती है. मनुष्य जीवन उत्थान के लिए मिला है न कि पतन के लिए. अपने अपने आप को ऊपर उठाओ. मन को दुर्बल न बनाओ और जीवन में निराश मत हो.कार्यक्रम का आयोजन शंकर बाबू के सौजन्य से हो रहा है. महाराज जी ने एक उद्धरण देते हुए कहा कि एक बगीचे की दीवारें कुछ ज्यादा ऊंची बन जाने पर वहां रहने वाली बुलबुल उदाश व निराश रहने लगी. कुछ समय के बाद वहां एक संत आये और उस बुलबुल से उदासी का कारण पूछा, उसका उत्तर सुन कर संत जी हस दिये और कहा कि बुलबुल तेरी निराशी का कारण दीवार नहीं, तेरी मानसिक दुर्बलता है. तेरा ध्यान अपने पंखों की ओर न होकर इन दीवारों की ओर चला गया. तू अपने पंखों को देख, तेरे लिए न तो वृक्ष की शाखाएं ऊंची हैं और न ही बगीचे की दीवार. पंख के सहारे तू उड़ कर कहीं भी जा सकती है. शनिवार को सात दिवसीय गीता ज्ञान सत्संग के समापन पर विशाल भंडारा का आयोजन किया गया है.

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