जमीन के अभाव में थमा विकास

110 प्रस्तावित विद्यालय जमीन के अभाव में अधर में लटके स्कूलों के निर्माण समेत अन्य विभागों के भवनों के निर्माण के लिए पारित किये गये कई प्रस्ताव सरकारी उदासीनता के चलते धरातल पर नहीं उतर रहे हैं. जमीन की अनुपलब्धता इसमें सबसे बड़ी बाधक है. वहीं लक्ष्य को हासिल करने के प्रति कोई खास सक्रियता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 30, 2016 8:04 AM
110 प्रस्तावित विद्यालय जमीन के अभाव में अधर में लटके
स्कूलों के निर्माण समेत अन्य विभागों के भवनों के निर्माण के लिए पारित किये गये कई प्रस्ताव सरकारी उदासीनता के चलते धरातल पर नहीं उतर रहे हैं. जमीन की अनुपलब्धता इसमें सबसे बड़ी बाधक है. वहीं लक्ष्य को हासिल करने के प्रति कोई खास सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है. इससे विकास के कई काम ठप पड़े हुए हैं. इससे सबसे ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ रहा है स्कूलों के निर्माण पर. इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है.
सीवान : जिले के चतुर्दिक विकास के लिए स्थायी निर्माण से संबंधित मामले सरकारी गड़बड़झाला का शिकार हो कर रह जा रहे हैं. विशेष कर विद्यालय समेत अन्य विभागों के निर्माण से जुड़े प्रस्ताव जमीन के अभाव में धरातल पर नजर नहीं आते. ऐसे में विकास की रफ्तार थम जा रही है.
जमीन खरीदने का नहीं है कोई प्रावधान : विद्यालय भवन से लेकर स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण तक का कार्य सरकार का बजट जारी होने के बाद भी लंबित पड़ा है. इसके पीछे सबसे बड़ा रोड़ा जमीन बन रहा है. निर्माण के लिए जमीन की सरकारी स्तर पर खरीद का कोई इंतजाम नहीं है.
सर्वाधिक लंबित पड़े हैं विद्यालय निर्माण : शिक्षा का विकास करने की सरकारी कोशिश उसकी नीतियों के चलते ही कुप्रभावित हो रही है. प्रारंभिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विद्यालय की स्थापना की कोशिश में जमीन ही आड़े आ रही है. जिले में 110 प्रस्तावित विद्यालय जमीन के अभाव में अधर में लटके हैं.
इसके अलावा 50 विद्यालय जमीन के लिए विलंब से पहल के चलते नहीं बन सके. ये विद्यालय वर्ष 2006-07 में स्वीकृत हुए. लेकिन उस दौरान विद्यालय भवन निर्माण के लिए विभाग जमीन मुहैया नहीं करा सका. बाद के वर्ष में जमीन उपलब्ध होने पर भवन निर्माण का लागत मूल्य बढ़ गया. इसके बाद से शासन से मार्जिन मनी नहीं मिली. ऐसे में अब धन की कमी निर्माण में अवरोध बन गयी है.
जमीन के अभाव में पावर ग्रिड से हुआ वंचित : शासन ने विद्युत वितरण में सुधार के लिए पावर ग्रिड की स्थापना प्रत्येक कमिश्नरी में करने की योजना तय की थी. इसके तहत 10 वर्ष पूर्व यहां शासन से निर्माण की स्वीकृति मिल गयी. इसके बाद से विभाग निर्माण के लिए जमीन तलाशने में जुटा. आखिरकार बजट के बाद भी समय से जमीन नहीं उपलब्ध हो सकी. इसका नतीजा रहा कि यह कार्य प्रस्ताव निरस्त करते हुए प्रोजेक्ट पड़ोसी जिले गोपालगंज को जारी कर दिया गया. इसके अलावा विद्युत विभाग के अन्य कई प्रोजेक्ट जमीन के अभाव में लंबित पड़े हैं.

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