चीनी मिल नजदीक नहीं होने से तैयार ईख की नहीं हो रही खपत

क्रशर से ईख की पेराई कर गुड़ का करते हैं उत्पादन, गुड़ की कीमत लुढ़की महाराजगंज : एक समय था, जब लोग कहा करते थे. ” गंज में महाराजगंज और गंज गंजुली साह में राम गंलाम साह और सब सहुली” खेती व्यवसाय व छोटे – छोटे उद्योग को लेकर महाराजगंज प्रसिद्ध था. महाराजगंज, पचरुखी में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2016 11:49 PM

क्रशर से ईख की पेराई कर गुड़ का करते हैं उत्पादन, गुड़ की कीमत लुढ़की

महाराजगंज : एक समय था, जब लोग कहा करते थे. ” गंज में महाराजगंज और गंज गंजुली साह में राम गंलाम साह और सब सहुली” खेती व्यवसाय व छोटे – छोटे उद्योग को लेकर महाराजगंज प्रसिद्ध था. महाराजगंज, पचरुखी में जब चीनी मिल चला करती थी, तब क्षेत्र के लोगों का मुख्य खेती ईख थी. लोग मिट्टी के अनुसार, खेती करते थे. खेती से लोग खुशहाल जिंदगी व्यतीत करते थे. उपजाये गये ईख को बेचने के लिए दूर नहीं जाना पड़ता था.
खेती करने वाले लोग खुशहाल थे. आज लगभग 60 साल पूर्व महाराजगंज व लगभग 55 वर्ष पूर्व पचरुखी की चीनी मिल बंद हुए हो गये. तब से किसानों की स्थिति बिगड़ती गयी. आज भी गोपालगंज व सिधवलिया में चीनी मिलें चलती हैं, जहां के किसान ईख की खेती कर अपना जीवनयापन अच्छा से कर रहे हैं. सिधवलिया मिल ने 165 रुपये प्रति क्विंटल ईख की खरीदारी की है.
चीनी मिलें बंद होने से आयी बदहाली ईख की खेती से मुंह मोड़ रहे किसान

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