हर दिन सड़क पर हंगामा, अपने ही बेहाल
विरोध का बदला स्वरूप. प्रदर्शनकारी सबसे अधिक सड़क व रेल मार्ग को बनाते हैं निशाना, लोगों को है परेशानी पिछले कुछ सालों से लोगों द्वारा किसी बात का विरोध जताने का तरीका बिल्कुल ही बदल दिया गया है. कोई बात हुई नहीं कि सड़क को जाम कर तोड़फोड़ कर दी. सड़क पर आगजनी कर वाहनों […]
विरोध का बदला स्वरूप. प्रदर्शनकारी सबसे अधिक सड़क व रेल मार्ग को बनाते हैं निशाना, लोगों को है परेशानी
पिछले कुछ सालों से लोगों द्वारा किसी बात का विरोध जताने का तरीका बिल्कुल ही बदल दिया गया है. कोई बात हुई नहीं कि सड़क को जाम कर तोड़फोड़ कर दी. सड़क पर आगजनी कर वाहनों को फूंक दिया. पुलिस के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया, पुलिसकर्मियों को खदेड़ दिया आदि. यहां तक कि ट्रेनों का परिचालन रोकने में भी देर नहीं करते हैं प्रदर्शनकारी या आक्रोशित लोग. सरकारी संपत्ति को प्रदर्शनकारी सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
जाम करनेवाले इस बात की बिल्कुल परवाह नहीं करते हैं कि उनके द्वारा किये जा रहे जाम से कई जरूरतमंदों को कई तरह के नुकसानों का सामना करना पड़ सकता है या उनके विरोध प्रदर्शन से किसी गरीब का वाहन भी फूंका जा सकता है, जिससे एक पूरे परिवार की रोजी-रोटी चलती है. इन प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिये गये दिशा निर्देश का पालन होते नहीं दिख रहा है.
सीवान : ट्रांसफाॅर्मर जलने के महीनों बाद नहीं बदले जाने के खिलाफ सड़क जाम कर प्रदर्शन. हत्या की घटना से आक्रोशित भीड़ ने सड़क व रेल मार्ग जाम कर प्रदर्शन किया. सीवान-मैरवा मुख्य मार्ग पांच घंटे तक रहा अवरुद्ध. ऐसी खबरें आये दिन अखबारों में सुर्खियों में रहती हैं.
हर दिन सड़क पर हंगामा-प्रदर्शन के चलते आम लोग ही बेहाल होते हैं. अब तो लोग किसी जरूरी काम से घर से निकलते वक्त प्रार्थना करते हैं कि उन्हें किसी जाम का सामना नहीं करना पड़े. विरोध जताने के ऐसे तरीकों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय की तल्ख टिप्पणी के बाद भी इसमें कमी होते नहीं दिखाई पड़ रही है.
जनता के प्रति कम दिखती है जवाबदेही : बुनियादी समस्याओं से लेकर कानून व्यवस्था के सवाल पर आये दिन लोगों का गुस्सा सड़क पर फूट पड़ रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता मनोज मिश्र कहते हैं कि अफसरशाही की मनमानी इसके मूल में है. जवाबदेह प्रशासन से लेकर सरकार तक के लोकतांत्रिक मूल्य यहां दिखाई नहीं पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में लोग अपनी आवाज उठाने के लिए सड़क व रेल मार्ग जाम करने जैसे कदम उठाते हैं, जिसका खामियाजा वह स्वयं भी भुगतते हैं. साथ ही अन्य लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ती है. ऐसे में लोगों के आक्रोश को समय रहते हल करने की जरूरत है.
जाम में मरीज से लेकर बच्चे, यात्री तक होते हैं पीड़ित : सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने के कारण आये दिन लोग परेशान होते हैं. मार्ग अवरूद्ध होने से आवश्यक कार्यवश जा रहे लोगों को जाम में फंस कर घंटों जूझना पड़ता है.
इसमें सबसे अधिक आफत मरीजों के एंबुलेंस के जाम में फंसने के कारण होती है. आये दिन ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं कि जाम में फंसने के कारण समय से उपचार नहीं हो सका. इसके चलते मरीज की हालत और बिगड़ गयी, तो कहीं मौत तक हो गयी. इसके अलावा जाम का खामियाजा जरूरी यात्रा पर निकले लोगों तक को भुगतना पड़ता है. कई बार ट्रेनें तक ऐसे लोगों की छूट जाती है. वहीं स्कूली बच्चे भी जाम में फंस जाते हैं, जिससे वे भूखे-प्यासे जाम के हटने का इंतजार करते रहते हैं.
सरकारी संपत्ति का होता है नुकसान : विरोध प्रदर्शन करते लोगों द्वारा पथराव से निजी व सार्वजनिक वाहन के क्षतिग्रस्त होने की घटना सामान्य बात है. विशेष कर आंदोलनकारी सार्वजनिक संपत्ति को ही निशाना बनाते हैं.
इसका बोझ लोगों के सिर पर ही पड़ता है. इसके बाद भी जनाक्रोश में सरकारी संपत्ति काे शिकार बनाने की घटनाएं सामान्य है. ऐसे में पुलिस भी इनके खिलाफ आपराधिक धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करती है. इससे युवा वर्ग के कई लोगों के कैरियर पर प्रतिकूल असर भी पड़ता है.
एक नजर हाल की कुछ घटनाओं पर
21 अप्रैल को मुफस्सिल थाने के मोहद्दीपुर में भीषण आग से चार रिहायशी झोंपड़ियां जल जाने को लेकर ग्रामीणों ने सीवान-नौतन मार्ग जाम कर विरोध प्रदर्शन किया. लोग पीड़ित परिवार को मुआवजा देने तथा बिजली विभाग की लापरवाही से आग लगने का आरोप लगा रहे थे.
19 अप्रैल को दरौली थाना क्षेत्र के परसिया व बौना बाजार में मुख्य मार्ग जाम कर लोगों ने प्रदर्शन किया तथा पुलिस वाहन को पथराव कर क्षतिग्रस्त कर दिया. खाप पूनक के राधाकृष्ण सिंह के हत्या के लिए पुलिस को जिम्मेवार ठहराते हुए विरोध जता रहे थे.
19 अप्रैल को रघुनाथपुर थाने के पंजवार के समीप लोगों ने जला हुआ ट्रांसफाॅर्मर नहीं बदले जाने के विरोध में सड़क जाम कर प्रदर्शन किया. लोगों का कहना था कि विभागीय अधिकारियों से शिकायत के बाद भी कोई सुन नहीं रहा है. सड़क जाम के कारण लोगों को घंटों परेशान होना पड़ा.
15 अप्रैल को सीवान शहर में दो पक्षों में विवाद के बाद मार्ग जाम, तोड़फोड़, पथराव, आगजनी की घटनाएं हुईं. इसको लेकर दो दिनों तक जनजीवन पर प्रतिकूल असर रहा. धार्मिक जुलूस में डीजे बजाने को लेकर हुए विवाद के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया.
24 मार्च को सराय ओपी थाना के माहपुर में सीवान-बसंतपुर मुख्य मार्ग चार घंटे तक लोगों ने जाम रखा. मार्ग दुर्घटना में दो लोगों की मौत के खिलाफ आक्रोश जताते हुए लोगों ने यह जाम लगाया था. ग्रामीण पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता व स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग कर रहे थे.
18 जनवरी को चैनपुर ओपी थाने के चैनपुर में डाॅ भीम राव आंबेडकर की मूर्ति क्षतिग्रस्त किये जाने के विरोध में लोगों ने सीवान-सिसवन मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर दिया. इससे तकरीबन चार घंटे तक लोग परेशान रहे.